भारतीय पंचांग और ज्योतिष के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा यानी होली के अगले दिन से चैत्र शुदी प्रतिपदा शुरू हो जाती है। ऐसे में इस दिन से नववर्ष का आरंभ मानते है। इस वजह से होली पर्व नवसंवत और नववर्ष के आरंभ का प्रतीक कहा जाता है। जी दरअसल इसी दिन धुलेंडी का त्योहार मनाया जाता है। अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि धुलेंडी पर किस देवी या देवताओं को कौनसा रंग अर्पित किया जाता है। आइए बताते हैं। कहा जाता है सभी देवी-देवताओं का एक प्रिय रंग होता है और उस रंग की वस्तुएं उनको समर्पित करने से शुभता मिलती है। ऐसे में धुलेंडी पर देवी-देवताओं को खास रंग अर्पित करने चाहिए क्योंकि इससे उनकी कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा जीवन में समृद्धि मिलती है और खुशहाली भी आती है। ध्यान रहे सभी देवताओं के अपने प्रिय रंग होते हैं इसलिए होली के दिन उनके प्रिय रंगों से उनसे होली खेलकर होली के पर्व का प्रारंभ करना चाहिए।
* कहा जाता है श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। इस वजह से श्रीकृष्ण को पीतांबर भी कहते हैं। उन्हें होली के दिन पीले फूल, पीले वस्त्र से सजना चाहिए और पीला रंग लगना चाहिए।
* कहते हैं देवी लक्ष्मी, हनुमानजी और भेरू महाराज को लाल रंग अति प्रिय है इस वजह से इन तीनों देवी-देवताओं को होली के अवसर पर लाल रंग लगाना चाहिए।
* कहा जाता है मां बगुलामुखी को पीला रंग पसंद है इस वजह से उनको होली के अवसर पर पीला रंग लगना चाहिए।
* आप सभी को बता दें कि सूर्यदेव को लाल रंग पसंद है इसलिए उनको लाल गुलाल लगाना चाहिए और होली की शुभकामनाएं देनी चाहिए।
* भगवान शनिदेव को काला रंग पसंद है इसलिए उनको काला रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देनी चाहिए।
* ध्यान रहे धुलेंडी के बाद रंगपंचमी का दिन देवी-देवताओं को समर्पित माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी देवता गीले रंगों से होली खेलते हैं। इस वजह से रंग पंचमी के दिन देवी देवता को गीले रंग लगाने चाहिए।