कॉपीकैट नाम के एक मॉलवेयर ने पिछले साल 1.4 करोड़ एंड्रायड डिवाइसों को प्रभावित किया था, जिसमें से 80 लाख डिवाइसों का रूट एक्सेस हासिल कर इसने महज दो महीनों में नकली विज्ञापन राजस्व से 15 लाख डॉलर की कमाई की। इजरायल की एक आईटी सुरक्षा प्रदाता कंपनी चेकप्वाइंट ने यह खुलासा किया है। चेकप्वाइंट ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि इस मॉलवेयर से ज्यादा दक्षिणपूर्व एशिया के यूजर्स प्रभावित हुए, जबकि अमेरिका में इसने 2,80,000 एंड्रायड यूजर्स को निशाना बनाया।
चीनी कंपनियों के फोन पर नहीं करता असर:
इसमें कहा गया, “कॉपीकैट अटैक के पीछे किसका हाथ है, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन इसका मोबीसमर से कई संपर्क का पता चला है, जो चीन की एक एड नेटवर्क है।” ब्लॉग पोस्ट में कहा गया, “यह मॉलवेयर चीनी डिवाइसों को निशाना बनाने से बच रहा है, इससे यह संकेत मिलता है कि इसे विकसित करने वाले चीन के हो सकते हैं, क्योंकि वे नहीं चाहते होंगे कि स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियां इसकी जांच करें।” हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि कॉपीकैट गूगल प्ले स्टोर के माध्यम से फैला है।
मालवेयर होने पर ऐसे करता है फोन
वाइरस कैसा भी हो, एंड्रॉयड में वह ऐप्स के जरिए ही आता है। आपके फोन या टैब में वाइरस हो तो सबसे पहले ऐप्स चेक करें। गूगल प्ले स्टोर से बाहर का कोई भी ऐप डाउनलोड नहीं करना चाहिए। अगर कोई ऐप खोलने पर फोन हैंग हो रहा हो या अजीब तरीके से व्यवहार कर रहा हो, संभावना है कि वह वाइरस हो। उसे हटाने की कोशिश करें, अगर कोई दिक्कत आए तो समझ जाइए कि यह मालवेयर है।