पश्चिम बंगाल में गोरखालैंड की मांग करने के दौरान जून से अबतक 9 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है। गोरखालैंड को अलग राज्य बनाने की मांग पर अड़ा जीजेएम नेतृ्त्व ने कहा कि राज्य में स्थिति इतनी बद्तर होने के बाद भी केंद्र सरकार चुप्पी साधे बैठी है। इसी के चलते जीजेएम ने इस आंदोलन को अगस्त में दिल्ली ले जाने का फैसला किया है।मानसून सत्र: सदन शुरू होने से पहले ही बीजेपी ने संसदीय दल की जारी की बैठक…
बता दें कि गोरखालैंड आंदोलन समन्वय समिति 1 अगस्त को दिल्ली में एक बैठक करेगी। इसके बाद समिति आंदोलन की शुरूआत कर भूख हड़ताल पर बैठेगी। उधर अगस्त से संसद का मानसून सत्र भी शुरू हो रहा है।
दिल्ली जाने का ये फैसला जीजेएम समर्थक आशिष तमंग की मौत को लेकर सोमवार को किया गया। इस गुरुवार आंदोलन को सात हफ्ते होने वाले हैं लेकिन केंद्र सरकार ने इस ओर अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया है जिसके चलते प्रदर्शनकारियों में ‘निराशा की भावना’ बढ़ती ही जा रही है।
जीजेएम प्रवक्ता बिनय तमंग ने बताया कि 36 वर्षीय आशिष तमंग की मौत जीजेएम और टीएमसी के प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प के दौरान पुलिस फायरिंग में हुई। उन्होंने आगे बताया कि पुलिस ने मिरिक बाजर में सीधे जीजेएम के प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने आगे कहा कि मिरीक नगरपालिका में टीएमसी के सात सदस्यों के तुरंत इस्तीफे की मांग को लेकर दोनों धड़ों में ये दंगा भड़का था।
वहीं, पुलिस ने इस झड़प के दौरान की फायरिंग के आरोप से पल्ला झाड़ लिया है। बता दें कि दंगे की सूचना मिलते ही पुलिस का एक धड़ा रात करीब 8 बजे मिरिक बाजार पहुंचा था जहां उसने प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए आसूं गैस के गोले छोड़े जिसके जवाब में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बल पर पत्थरबाजी करनी शुरू कर दी।
टीएमसी ने दावा किया कि इस झड़प के दौरान उसका एक समर्थक बुरी तरह घायल हो गया और अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है।