आगामी10 अक्टूबर से शुभ कार्यों पर ब्रेक लगने जा रहा है। आगे जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह…
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दरअसल, गुरु बृहस्पति के अस्त होने की वजह से 10 अक्तूबर से 7 नवंबर तक गुरु अस्त रहेंगे। ज्योतिषयों के अनुसार इस बीच गृह प्रवेश, मुंडन आदि शुभ कार्य नहीं हो सकेंगे। 10 अक्तूबर से 7 नवंबर के बीच गुरु अस्त होने जा रहे हैं।
भारतीय ज्योतिष में गुरु बृहस्पति को सबसे ज्यादा शुभ ग्रह कहा गया है। आचार्य भरतराम तिवारी के अनुसार गुरु अज्ञानता को दूर करते हैं। धनु एवं मीन राशि के स्वामी गुरु हैं। यह कर्क राशि पर उच्च एवं मकर राशि पर निम्न माने जाते हैं। गुरु दस अक्तूबर को प्रात: 6.28 मिनट पर पश्चिम में अस्त होंगे।
7 नवंबर को प्रात: उदय होंगे। इन दिनों गुरु तुला राशि पर चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण में गोचर कर रहे हैं। डा. आचार्य सुशांत राज के अनुसार गुरु जब सूर्य से 11 अंश पर होते हैं या उससे समीप होते हैं तो स्वत: अस्त हो जाते हैं। बृहस्पति आकाश तत्व का कारक ग्रह है।
धन-संतान, लाभ एवं भाग्योदय का कारक है। समस्त शुभ कार्यों को गुरु का बल विचार करने पर ही प्रारंभ किया जाता है। अत: गुरु अस्त होने से 3 दिन पूर्व बृद्धत्व एवं उदय होने के 3 दिन बाद तक बाल्य तत्व दोष रहता है। ज्योतिषाचार्य गौरव आर्य के अनुसार इस अवधि में देव प्रतिष्ठा, मुंडन, गृह प्रवेश, विवाह, यज्ञोपवीत संस्कार करना एवं नवीन यात्रा आदि नहीं किए जाते हैं।
मुहूर्त मार्तंड ग्रंथ में लिखा है कि गर्भाधान से लेकर अन्नप्राशन तक ये सात संस्कार एवं श्रावणी उपाक्रम नित्य यात्रा गुरु अस्त के समय में कर सकते हैं। इन संस्कारों के करने पर गुरु अस्त का दोष नहीं लगता है।