पूरी दुनिया में टीबी खतरनाक बीमारी बनी हुई है. अब यह बच्चों को भी शिकार बना रही है. इस वक्त पूरी दुनिया में 10 लाख से ज्यादा बच्चों को अपना निशाना बना चुकी है. इसके साथ ही भारत दुनिया के ऐसे छह बड़े देशों में भी शामिल हो गया है, जहां टीबी के सबसे ज्यादा मरीज हैं.वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की 2016 की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2015 में पूरी दुनिया में 1.04 करोड़ टीबी के नए मरीज पाए गए. इनमें से 59 लाख पुरुष, 35 लाख महिलाएं और 10 लाख बच्चे थे.
इसके साथ ही इस दौरान 14 लाख लोगों की मौत हुईं. इनमें से चार लाख में एचआइवी संक्रमण भी पाया गया. भारत में दुनिया में पाए जाने वाले मामलों में सबसे अधिक 27 फीसदी मामले पाए गए.दुनिया के 60 फीसदी मामले 6 देशों में हैं. इनमें भारत के अलावा चीन, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान और साउथ अफ्रीका भी शामिल हैं. खतरनाक होती जा रही टीबी की बीमारी को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने 2025 तक की घोषणा की है.
रॉर्बट कॉच ने की खाेेेज
जर्मन फिजीशियन और पायोनरिंग माइक्रोबायोलॉजिस्ट रॉर्बट कॉच ने 24 मार्च 1882 को टीबी के जीवाणु की खोज की और यह खोज टीबी को समझने और इस बीमारी के इलाज में मील का पत्थर साबित हुई. इसलिए टीबी को कॉच की बीमारी भी कहते हैं. इस खोज की याद में हर साल 24 मार्च को हम विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाते हैं.