बुन्देलखण्ड की एक ऐसी लड़की की कहानी आज आपको बताने जा रहे हैं जिसने 10 साल की छोटी सी उम्र से ही समाज का वो भयानक रूप देखा है जिसके बारे में हम सोच भी नही सकते हैं.
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18 साल की उम्र में ही इस लड़की के साथ दर्जनो लोगो ने कई दिनों तक लगातार बलात्कार किया. इसके बाद इस लड़की ने भी बदले की आग में हथियार उठा लिए और निकल पड़ी चम्बल के बीहड़ में. हम बात कर रहें हैं खूँखार डकैत फूलनदेवी की जिसकी मौत को आज 16 साल बीत चुके हैं.
ये है कि फूलन देवी के किस्से आज भी सुनाए जाते हैं. आपको बता दे कि, फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड के जालौन जिले के एक छोटे से गांव गोरहा का पूरवा में हुआ था.
आज हम आपको इस मासूम लड़की की पूरी दस्ता बताने जा रहे अभी तक की. आज भी कोई फूलन को अच्छा मानता है तो कोई खूंखार डकैत. 80 के दशक में चंबल के बीहड़ों में वो सबसे ख़तरनाक डाकू मानी जाती थीं.+
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उनके जीवन पर शेखर कपूर द्वारा बनाई गई फिल्म ने लोगो को सबसे ज्यादा प्रभावित किया. सरकार ने फूलन देवी को पकड़ने के खातिर पूरा जोर लगा दिया था लेकिन सरकार को कभी हाथ नही लगी लेकिन फिर खुद ही फूलन देवी ने कुछ शर्तों के साथ सरकार के सामने सरेंडर कर दिया.
फूलनदेवी की 25 जुलाई 2001 को उनके ही घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उस समय के अखबारों और पत्रकारों की मानें तो हालात ने ही फूलन देवी को इतना कठोर बना दिया कि जब उन्होंने बहमई में एक लाइन में खड़ा करके 22 ठाकुरों की हत्या की तो उन्हें ज़रा भी मलाल नहीं हुआ. इसके बाद तो मानो फूलनदेवी पूरे विश्व की नजर में आ गईं.
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