बीतें दस सालों में देश की सभी राजनीतिक दलों को जमकर आय हुई है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 2004-05 से 2014-2015 के बीच राजनीतिक पार्टियों को 11 हजार 367 करोड़ रुपये की आय हुई है।
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अगर क्षेत्रीय पार्टीयों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा फायदा समाजवादी पार्टी को मिला है। दस सालों में समाजवादी पार्टी की आय में 94 फीसदी (766 करोड़ रुपये) का इजाफा हुआ है। सपा के बाद शिरोमणि अकाली दल की आय में सबसे ज्यादा 86 फीसदी (88 करोड़ रुपये) का इजाफा हुआ।
चौंकाने वाली बात यह है कि इन राजनीतिक दलों की आय का 69 फीसदी हिस्सा अज्ञात स्त्रोतों से आया हुआ है। अज्ञात स्रोतों से राजनीतिक दलों को सात हजार 833 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई। जबकि ज्ञात स्त्रोतों से राजनीतिक दलों को महज 16 फीसदी (एक हजार 835 करोड़ रुपये) का आय हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय पार्टियों की आय में जहां 313 फीसदी का इजाफा हुआ है वहीं क्षेत्रीय पार्टियों की आय में लगभग इसका दोगुना 652 फीसदी का इजाफा हुआ है।
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सिर्फ छह पार्टियों ने ही चुनाव आयोग को बताई अपनी कमाई
51 दलों में से सिर्फ छह दलों का ही 11 सालों का सभी दान चुनाव आयोग में उपलब्ध हैं। इन सालों में 45 दलों ने कम से कम एक वित्तीय वर्ष के लिए चुनाव आयोग को अपना दान का विवरण जमा नहीं किया। जबकि 12 दल ऐसे हैं जिन्होंने एक भी दान रिपोर्ट चुनाव को वर्ष 2004-05 से जमा नहीं किया।
एडीआर की सदस्या लक्ष्मी श्रीराम ने बताया कि राजनैतिक दलों को पुराने फर्नीचर, पुराने अखबार, ब्याज, किताबों की बिक्री से भी आय होती है। इसलिए इनको मिलने वाली राशि को आय की श्रेणी में रखा गया है। हालांकि इस आय में अधिकांश राशि किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा दिए जाने वाले चंदे से प्राप्त होती है। इसके अलावा जिन्होंने 20 हजार से कम दान का योगदान देने वाले का ब्यौरा पार्टियां देने के लिए बाध्य नहीं हैं।वहीं अज्ञात स्त्रोत में कूपनों की बिक्री, आजीवन सहयोग निधि, रिलीफ फंड, वोलेंट्री का योगदान, बैठक में मिलने वाली राशि आदि भी शामिल है। बसपा ने नहीं बताया एक भी स्त्रोत वहीं सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों में से केवल बसपा ने यह लगातार घोषित किया है कि पार्टी को पिछले एक दशक में कोई भी दान 20 हजार रुपए से अधिक मात्रा में नहीं मिला है। इसलिए पार्टी का 100 प्रतिशत दान अज्ञात स्त्रोत से मिला है। बसपा की कुल आय 11 सालों में 2057 फीसदी बढ़ी है। पार्टी की आय इन सालों में 5 करोड़ 19 लाख रुपए से बढ़कर 112 करोड़ रुपए हो गया।