छद्म तोप जीआईसी में आयोजित प्रदर्शनी में भदोही जिले के खेदीपुर स्थित श्री विश्वनाथ पाण्डेय कान्वेंट इंटर कालेज के 11 वीं के स्टूडेंट आशीष पाण्डेय ने तोप का एक माडल पेश किया। बरसात के दिनों में बारिश होने पर भी इसपर कोई असर नहीं पड़ेगा। जबकि बारूद का असली तोप में नमी आ जाती है।

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बड़ी बात तो यह है कि इस तोप को तैयार करने में महज 10 से 15 हजार रूपए का खर्च आएगा। आशीष बताते हैं कि यह तोप छद्मयुद्ध लड़ने के काम आ सकता है। यह पूरी तरह से रासायनिक ऊर्जा पर आधारित है।
इसमें कैल्शियम कार्बाइड सीएचसी-2 का जल से अभिक्रिया कराने पर एसिटीशन गैस का उत्सर्जन होता है। इसके बाद एसिटीलिन गैस को ज्वलनशील पदार्थ आग के करीब ले जाने पर विस्फोट होगा। इससे किसी प्रकार का नुकसान तो नहीं होगा। पर सामने वाले दुश्मन को भरमाकर सटीक निशाना साधा जा सकता है। यह दुश्मन को दहला देगा।
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यह होगा फायदा-
आशीष पाण्डेय का कहना हैं कि निशाना साधने के बावजूद तोप में भरा बारूद नमी के चलते कई बार नाकाम साबित हो जाता है। इतमें देश का करोड़ो रुपये बर्बाद हो जाते है। आशीष यह भी बताते हैं कि इस छद्मयुद्ध लड़ने के लिए रूस युद्ध, विमान तक का उपयोग करता है। इस तरह के तोप से दुश्मन को भरमा कर सही लोकेशन पर सटीक निशाना साधा सकता है।
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