एक बहुत बड़ा राशि परिवर्तन अगले महीने देखने को मिल रहा है.11 तारिक को बुध ग्रह वक्री हो रहे हैं जिसका सीधा असर हम सभी की जिंदगी पर पड़ना तय माना जा रहा है !
राशियाँ राशिचक्र के उन बारह बराबर भागों को कहा जाता है जिन पर ज्योतिषी आधारित है। हर राशि सूरज के क्रांतिवृत्त (ऍक्लिप्टिक) पर आने वाले एक तारामंडल से सम्बन्ध रखती है और उन दोनों का एक ही नाम होता है – जैसे की मिथुन राशि और मिथुन तारामंडल।जो बड़ा परिवर्तन होने वाला है वो है बुध ग्रह का परिवर्तन.
इन बारह तारा समूह ज्योतिष के हिसाब से महत्वपूर्ण हैं। यदि पृथ्वी, सूरज के केन्द्र और पृथ्वी की परिक्रमा के तल को चारो तरफ ब्रम्हाण्ड में फैलायें, तो यह ब्रम्हाण्ड में एक तरह की पेटी सी बना लेगा। इस पेटी को हम १२ बराबर भागों में बांटें तो हम देखेंगे कि इन १२ भागों में कोई न कोई तारा समूह आता है। हमारी पृथ्वी और ग्रह, सूरज के चारों तरफ घूमते हैं या इसको इस तरह से कहें कि सूरज और सारे ग्रह पृथ्वी के सापेक्ष इन १२ तारा समूहों से गुजरते हैं। यह किसी अन्य तारा समूह के साथ नहीं होता है इसलिये यह १२ महत्वपूर्ण हो गये हैं। इस तारा समूह को हमारे पूर्वजों ने कोई न कोई आकृति दे दी और इन्हे राशियां कहा जाने लगा।
बुध की कक्षा चुंकि पृथ्वी की कक्षा (शुक्र के भी) के भीतर स्थित है, यह पृथ्वी के आसमान में सुबह में या शाम को दिखाई दे सकता है, परंतु अर्धरात्रि को नहीं। पृथ्वी के सापेक्ष अपनी कक्षा पर सफर करते हुए यह शुक्र और हमारे चन्द्रमा की तरह कलाओं के सभी रुपों का प्रदर्शन करता है। हालांकि बुध ग्रह बहुत उज्जवल वस्तु जैसा दिख सकता है जब इसे पृथ्वी से देख जाए, सूर्य से इसकी निकटता शुक्र की तुलना में इसे देखना और अधिक कठिन बनाता है।
ग्रहों की दशा में देशाटन, व्यसन एवं अत्यधिक भागदौड. जन्मांग में जो ग्रह वक्री होता है वह अपनी दशा एवं अन्तरदशा में प्रभावशाली फल प्रदान करने वाला बनता है. बुध ग्रह के वक्री होने पर मिलेजुले प्रभावों को देखा जा सकता है. बुध के शुभ या अशुभ फल का प्रभाव उसके अन्य ग्रहों के साथ संबंधों एवं अन्य तथ्यों के आधार पर किया जा सकता है.
किसी जातक कि कुंडली में सामान्य रूप से शुभ फल देने वाले बुध वक्री होने की स्थिति में उस कुंडली में शुभ फल प्रदान करते हैं और कुंडली में सामान्य रूप से अशुभ फल देने वाले बुध वक्री होने की स्थिति में अपनी अशुभता में वृद्धि कर देते हैं !