नई दिल्ली: हाल में ही वैज्ञानिकों ने इंसान के शरीर में एक नए ऑर्गन की खोज की है जिसके बारे में अब तक किसी को जानकारी नहीं थी। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस नई खोज की मदद से शरीर में कैंसर कैसे फैलता है इसे आसानी से समझा जा सकेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे शरीर में जो परत है जिसे अब तक सघन और संयोजक टीशू समझा जा रहा है था वे दरअसल तरल पदार्थों से भरे कंपार्टमेंट्स हैं जिन्हें इंटरस्टीशियम नाम दिया गया है।

ये कंपार्टमेंट्स हमारी स्किन के नीचे पाए जाने के साथ ही आंत, फेफ ड़े, रक्त नलिका और मांसपेशियों के नीचे भी परत के रूप में पाए जाते हैं और ये आपस में जुड़कर एक नेटवर्क बनाते हैं जिसे मजबूत और लचीले प्रोटीन के जाल का सपॉर्ट मिला होता है।
इंसान के शरीर के बारे में किया गया यह नया विश्लेषण साइंटिफिक रिपोट्र्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है और पहली बार इन रिक्त स्थानों को संयुक्त रूप से एक नए ऑर्गन के तौर पर माना गया है ताकि उनके कार्य करने के तरीके को समझा जा सके। हैरान करने वाली बात यह है कि इंटरस्टीशियम पर पहले कभी ध्यान नहीं दिया गया जबकि यह इंसान के शरीर के सबसे बड़े ऑर्गन्स में से एक है।
वैज्ञानिकों की जिस टीम ने इस ऑर्गन की खोज की है उनका मानना है कि शरीर के ये कंपार्टमेंट्स या अंश शॉक अब्जॉर्बर का काम करते हैं जो शरीर के टीशूज को डैमेज होने से बचाते हैं। माउंड सिनाइ बेथ इजरायल मेडिकल सेंटर मेडिक्स के डॉ डेविड कार.लॉक और डॉ पेट्रोस बेनियास जब एक मरीज के शरीर में कैंसर के संकेतों का पता लगाने के लिए पित्त वाहिनी की जांच कर रहे थे उस दौरान उन्हें इंटरस्टीशियम के बारे में पता चला।
उन्होंने देखा कि उस मरीज के शरीर में कैविटीज या छेद था जो पहले कभी इंसान के शरीर के गहन विश्लेषण के दौरान सामने नहीं आया था। इसके बाद उन्होंने न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी के पाथलॉजिस्ट डॉ नील थेसी से इस बारे में बात की।
पूरे शरीर में पाए जाने वाले तरल पदार्थों से भरे इन शॉक अब्जॉर्बस को अब तक सिर्फ साधारण परत वाले कनेक्टिव टीशू के रूप में जाना जाता था। लेकिन हाल ही में हुई जांच के नतीजों के बाद वैज्ञानिकों का मानना है कि ये संरचना न सिर्फ पित्त वाहिनी ;इपसम कनबजद्ध में पायी जाती है बल्कि शरीर के दूसरे और बेहद अहम ऑर्गन्स के आसपास भी होती है। इंसान के शरीर में इस नए ऑर्गन की खोज और उसे पूरी तरह से समझने के बाद वैज्ञानिकों को कैंसर के लिए नया टेस्ट विकसित करने में मदद मिलेगी।
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