नई दिल्ली: भरत की पहली महिला डॉक्टर आनंदीबाई गोपालराव जोशी को गूगल ने डूडल के जरिए श्रद्धांजलि दी है। आज उनकी 153वीं जयंती है। उनका जन्म 31 मार्च 1865 को महाराष्ट्र के ठाणे में हुआ था। उनके बचपन का नाम यमुना था।
उनका परिवार जमींदार था लेकिन अपनी सारी धन-दौलत खो चुका था।
उस समय की प्रथा और परिवार के प्रेशर की वजह से उन्हें खुद से 20 साल बड़े और विधुर गोपालराव जोशी के साथ 9 साल की उम्र में शादी करनी पड़ी। शादी के बाद पति ने उनका नाम यमुना से बदलकर आनंदी रख दिया। पेशे से पोस्टल क्लर्क आनंदी के पति प्रगतिशील सोच वाले थे और महिला शिक्षा को महत्व देते थे।
ऐसी सोच उस समय बहुत कम लोगों की हुआ करती थी। 14 साल की उम्र में आनंदीबेन ने एक बेटे को जन्म दिया लेकिन वह केवल 10 दिन ही जिंदा रहा क्योंकि उसे ठीक समय पर स्वास्थ्य सेवा नहीं मिली। यह उनकी जिंदगी का अहम मोड़ था जिसने उन्हें डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया। गोपालराव ने भी अपनी पत्नी को मेडिसिन की पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया।
जिसके बाद साल 1880 में उन्होंने अमेरिकी मिशनरी रॉयल विल्डर को पत्र लिखा और आनंदीबेन का मेडिसिन पढऩे में रूचि के बारे में बताया। केवल 16 साल की उम्र में आनंदीबेन को उनके पति ने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका भेज दिया। अमेरिका जाने के बारे में जब उस समय लोगों को पता चला तो उन्होंने विरोध किया इसके बावजूद आनंदीबेन ने पढ़ाई की।
उन्होंने पेंसिलवानिया के महिला मेडिकल कॉलेज ऑफ पेंसिलवानिया जिसे अब ड्रक्सेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन के नाम से जाना जाता है से मेडिकल की डिग्री हासिल की।
डिग्री लेने के बाद वह भारत में महिलाओं के लिए एक मेडिकल कॉलेज खोलने का सपना लेकर लौटी थीं। मगर दुर्भाग्य से उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया क्योंकि लौटने के बाद वह काफी बीमार रहने लगीं। टीबी से पीडि़त जोशी की तबीयत खराब होती चली गई। जिसके कारण 26 फरवरी 1887 को महज 22 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।