हाल ही में देश के शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इंदिरा गाँधी के समय लगी इमरजेंसी के बारे में जिक्र करते हुए काला दिवस मनाया था उसी समय प्रकाश जावड़ेकर ने इस बारे में एक ऐलान करते हुए एक ट्वीट किया जिसमें लिखा था कि “हमने यह तय किया है कि हम पाठ्यक्रम में बदलाव कर आपातकाल की सत्यता के बारे में विद्यार्थियों को भी बतायेंगे, ताकि इतिहास की सही व्याख्या हो सकें” लेकिन इस बात का ऐलान करते हुए वो शायद यह भूल गए की इतिहास की इन बातों का जिक्र खुले तौर पर 12 सीबीएसई की किताब में किया है. 
इस किताब में देश में हुए आपातकाल, गोधरा कांड, बीजेपी की हिंदुत्व वाली राजनीति जैसे विषयों पर विस्तृत से लिखा गया है. ‘स्वतंत्र भारत में राजनीति’ नाम की इस किताब के 9 वें अध्याय में बीजेपी को सांप्रदायिक पार्टी बताया गया है. इस किताब में लिखा गया है कि 1980 और 1984 में बीजेपी को चुनावों में कोई ख़ास सफलता नहीं मिली थी इसलिए इस पार्टी ने 1986 के बाद से अपनी विचारधारा को बदलकर हिन्दू राष्ट्रवाद पर जोर देना शुरू किया.
वहीं गुजरात में हुए दंगों को लेकर इस पुस्तक में अटल बिहारी वाजपई का वह बयान भी दर्ज है जो उन्होंने उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्तिथि में दिया था जिसमें अटल बिहारी वाजपई मोदी को सन्देश देते हुए दिखाई देते है कि ‘मुख्यमंत्री को मेरा संदेश है कि वे राजधर्म का पालन करें. शासक को अपनी प्रजा के बीच जाति, मत या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए.’
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