महेंद्र सिंह धोनी को क्रिकेट विश्व में अपनी पहचान बनाने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. आज ही (5 अप्रैल) 2005 में लाल रंगे हुए लंबे बालों वाले नवोदित धोनी ने विशाखापत्तनम में अपनी शतकीय पारी के दौरान ऐसे शॉट्स खेले, जिससे पाकिस्तानी गेंदबाज बेबस दिखे. और यहीं से धोनी के क्रिकेट सफर का धमाकेदार आगाज हुआ.
धोनी की ऐसी रही शुरुआत
महेंद्र सिंह धोनी ने अपने वनडे करियर के शुरुआती चार मैचों में सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 0, 12, 7* और 3 रन बनाए थे. उन्होंने अपना पांचवां वनडे पाकिस्तान के खिलाफ खेला. कप्तान सौरव गांगुली ने धोनी को सचिन तेंदुलकर (2 रन) का विकेट गिरते ही बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतारा. उन्हें ऐसे ही मौके की तलाश थी. जिसका उन्होंने जमकर फायदा उठाया. उनकी संकल्पपूर्ण पारी पाकिस्तान के गेंदबाजों पर भारी पड़ी.
धोनी ने क्रीज पर कदम रखते ही पहली गेंद को चौके के लिए बाउंड्री के बाहर भेजकर अपने इरादे जाहिर कर दिए. धोनी ने उस मैच में 123 गेंदों में 148 रनों की तूफानी पारी खेली. जिसमें उनके 4 छक्के के अलावा 15 चौके शामिल थे. धोनी ने अपनी शतकीय पारी के दौरान 49 गेंदों में 50 रन पूरे किए, जबकि 88 गेंदों में शतक जमाया. जब वे आउट होकर पैवेलियन लौटे, तो स्कोर बोर्ड पर 289/4 रन दर्ज हो चुके थे. उस मैच में भारत ने 356/9 रन बना डाले. पहाड़ से लक्ष्य को पाकिस्तान हासिल नहीं कर पाया और भारत ने वह मुकाबला 58 रनों से जीत लिया. धोनी मैन ऑफ द मैच रहे.
पाकिस्तान के खिलाफ रिकॉर्ड पारी रही
रिकॉर्ड की बात करें तो धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ वनडे में भारत की ओर से सर्वाधिक रनों की पारी खेली. इससे पहले सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर के नाम संयुक्त रूप से 141 रनों की पारी दर्ज थी. सात साल बाद यानी 2012 में विराट कोहली ने धोनी के 148 रनों के स्कोर को पीछे छोड़ा, जब उन्होंने ढाका में 183 रनों की पारी खेली.
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