नई दिल्ली: कर्नाटक में जारी सियासी संग्राम के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार शाम 4 बजे बहुमत परीक्षण का आदेश दिया। सर्वोच्च अदालत में तीन जजों की पीठ ने 24 घंटे के अंदर बहुमत परीक्षण और शपथ ग्रहण की समीक्षा कराने के 2 सुझाव दिए थे। कोर्ट ने फैसले के बाद येदियुरप्पा सरकार को शक्ति परीक्षण के लिए आंकड़े जुटाने को 28 घंटे का वक्त जरूर दे दिया। पीठ ने कहा कि सरकार बनाने के लिए राज्यपाल को किस पार्टी को बुलाना चाहिए था इसका फैसला बाद में किया जाएगा। कोर्ट ने प्रोटेम स्पीकर यानि अस्थाई स्पीकर द्वारा विश्वास मत परीक्षण के आदेश दिए।
अभिषेक मनु सिंघवी ने फैसले पर कहाए श्आज उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक आंतरिक आदेश दिया है।इसके तहत तुरंत बहुमत परीक्षण होगा जो कि कल 4 बजे होगा और एक प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण येदियुरप्पा जी के वकील ने माना कि कल तक येदियुरप्पा जी कोई नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे।
सिंघवी ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि हमने महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दा उठाया था कि क्या राज्यपाल जी ऐसी पार्टी को न्योता दे सकते हैं जिनकी गणित सिर्फ 104 की है जबकि हमारे पक्ष में 117 विधायक हैं। इस केस पर सुनने के लिए 10 हफ्ते बाद की तारीख लगाई है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया कि किसी अतिरिक्त नए विधायक को एंग्लो इंडियन समुदाय के आधार पर मनोनीत नहीं किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि 24 घंटे के अंदर बहुमत परीक्षण ही इस वक्त सर्वोत्तम विकल्प नजर आ रहा है। कोर्ट ने कर्नाटक के डीजीपी को शक्ति परीक्षण के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कराए जाने का भी निर्देश दिया। कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने फ्लोर टेस्ट की विडियोग्राफी करवाने की भी मांग की। पीठ ने इसका फैसला लेने का अधिकार राज्यपाल के विवेक पर छोड़ा। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के वेणुगोपाल और बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता देने का राज्यपाल का फैसला विवेकपूर्ण था।
कांग्रेस की तरफ से पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम और कपिल सिब्बल भी कोर्ट रूम में मौजूद थे। कांग्रेस का पक्ष रखते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस शनिवार को फ्लोर टेस्ट के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। सिब्बल ने कुमारस्वामी की तरफ से पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि बहुमत वाले पक्ष को सरकार बनाने का न्योता मिलना चाहिए था। येदियुरप्पा के लिए असल मुश्किल बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े तक विधायकों का समर्थन जुटाना है। कर्नाटक में चल रहे सियासी संग्राम के बाद गुरुवार को तड़के 1.30 बजे के करीब समर्थन जुटाने के लिए बीजेपी को 15 दिन की मोहलत दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा सरकार से वह पत्र मांगा है जो उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए कर्नाटक के राज्यपाल को सौंपा था। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एके सिकरी की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। बता दें कि येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण को रुकवाने के लिए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी।
सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा था। अटॉर्नी जनरल ने उस वक्त दलील दी थी कि राज्यपाल का पद दलगत राजनीति से ऊपर होता है और उन्हें पार्टी नहीं बनाया जा सकता। बीजेपी को सरकार बनाने से रोकने के लिए कांग्रेस और जेडीएस भी अपने स्तर पर कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते हैं। बीजेपी की पहुंच से अपने विधायकों को दूर करने के लिए कांग्रेस.जेडीएस भी पूरी तरह तैयार हैं। यही वजह है कि दोनों पार्टियों ने अपने विधायकों को आखिरकार हैदराबाद ले जाने का फैसला किया और गुरुवार देर रात उन्हें वहां शिफ्ट कर दिया है।