ग्वाटेमाला: ग्वाटेमाला में फुगो ज्वालामुखी में भयानक विस्फोट होने के बाद मलबे से और शव निकाले गए। इस आपदा में मरने वालों की संख्या 65 पर पहुंच गई है। आपदा राहत एजेंसी के प्रवक्ता डेविड डी लिओन ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पीडि़तों की तलाश के कुछ घंटों बाद मृतकों की संख्या बढ़कर कम से कम 65 हो गई।
घटना में 46 लोग घायल हो गए हैं जिनमें से ज्यादातर लोगों की हालत गंभीर है। इस आपदा से 17 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 3271 लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने को कहा गया है। रविवार को 3ए763 मीटर ऊंचे ज्वालामुखी में विस्फोट हो गया जिससे आसपास के इलाकों में राख के बादल छा गये।
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि पर्वत के दक्षिण छोर पर समुदायों में पीडि़तों की तलाश फिर से शुरू होने के बाद मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। ग्वाटेमाला की आपदा प्रबंधन एजेंसी के सर्गियो कबानास ने कहा कि कई लोग लापता हैं लेकिन हमें यह नहीं पता कि कितने लोग लापता हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि वह विस्फोट में लोगों की मौत और बड़े नुकसान से बहुत दुखी हैं।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र राष्ट्रीय बचाव एवं राहत प्रयासों में मदद करने के लिए तैयार है।सरकारी अधिकारी ने बताया कि मरने वालों में कुछ बच्चे भी हैं। ग्वाटेमाला में कुछ ऐसे वीडियो भी जारी हुए हैं जिनमें लावा के ऊपर तैरती लाशें दिख रही हैं। इसके साथ ही सेना को आपदा राहत कार्य में लगाया गया है। सेना लोगों के लिए अस्थायी कैंपों का निर्माण कर रही है।
ग्वाटेमाला क्षेत्र में राखों से बचने के लिए अधिकारियों ने लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी है। साथ ही सभी जरूरी सुरक्षा अपनाने को कहा है। ज्वालामुखी से सबसे अधिक प्रभावित एस्क्युन्टिलाए चिमाल्टेनांगो और सैकेटेपेक्वेज के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है। जबकि पूरे देश में आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
राष्ट्रपति जिम्मी मोरेल्स राष्ट्रीय आपातकालीन सेवाओं को राहत कार्य के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। मोरालेस ने देश में तीन दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है।फुगो मध्य अमेरिका का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है। 1974 में इससे पहले यहां बड़ा विस्फोट हुआ था।
लेकिन इस दौरान ज्वालामुखी से यहां कोई मरा नहीं था। 116 साल बाद ग्वाटेमाला के ज्वालामुखी में इतना भयानक विस्फोट हुआ है। इससे पहले 1902 में सांता मारिया ज्वालामुखी में हुए विस्फोट से हजारों लोग मारे गए थे। गौरतलब है कि हर साल दुनियाभर में ज्वालामुखी फटने की ऐसी करीब 60 घटनाएं होती हैं। कई ज्वालामुखी अचानक फट जाते हैं तो कई लंबे समय से सुलग रहे होते हैं।