लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रमुख सचिव शशि प्रकाश गोयल पर रिश्वत का आरोप लगाने वाले अभिषेक गुप्ता को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। अभिषेक को हिरासत में लिये जाने के बाद उसके नाना ओमप्रकाश गुप्ता और बहन अल्पना गुप्ता मुख्यमंत्री के आवास के बाहर पहुंचे और अभिषेक को छोड़े जाने और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। देर रात अभिषेक ने अपनी गलती मानते हुए पुलिस को लिखित माफीनामा दिया, जिसके बाद पुलिस ने उसको छोड़ दिया।
वहीं इस मामले में सीएम योगी ने मुख्य सचिव राजीव कुमार को अभिषेक गुप्ता के हरदोई स्थित पेट्रोल पम्प की स्थापना संबंधी मामले की तथ्यात्मक जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिये हैं। उधर यूपी के राज्यपाल रामनाईक ने भी सीएम योगी को पत्र भेजकर कहा है कि अभिषेक गुप्ता द्वारा पेट्रोल पंप खोले जाने में जो भी रुकावटें आ रही हैं उनका जल्द निस्तारण किया जाये।
इन्दिरानगर निवासी अभिषेक गुप्ता ने यूपी सीएम के मुख्य सचिव एसपी गोयल पर 25 लाख की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। इस मामले में गुरुवार की देर रात उस वक्त नया मोड़ आ गया जब भाजपा प्रदेश कार्यलय के प्रभारी भारत दीक्षित ने लखनऊ पुलिस से इस बात की शिकायत की कि अभिषेक गुप्ता पार्टी के पदाधिकारियों का नाम लेकर सीएम दफ्तर में तैनाम अधिकारियों पर काम का दवाब बना रहा है।
इस शिकायत के बाद अभिषेक के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गयी। एसएसपी ने बताया कि भारत दीक्षित की तहरीर पर अभिषेक गुप्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420 और 500 के तहत रिपोर्ट दर्ज की गयी है। वहीं शुक्रवार को पुलिस ने अभिषेक को उसके घर के बाहर से हिरासत में ले लिया।
अभिषेक को हिरासत में लिये जाने के बाद अभिषेक के नाना ओमप्रकाश गुप्ता और बहन अल्पना दोपहर को सीएम आवास के बाहर पहुंच गये। दोनों ने अभिषेक को झूठे मामले में फंसाये जाने का आरोप लगाया। उन लोगों ने फौरन अभिषेक को छोड़े जाने और इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग रखी।
अभिषेक के परिवार वालों के सीएम आवास के बाहर जमा होने की खबर मिलते ही गौमतपल्ली पुलिस भी पहुंच गयी। करीब एक घंटे तक अभिषेक की बहन व नाना सीएम आवास के बाहर मौजूद रहे, पर उनकी सीएम से मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद पुलिस ने किसी तरह उन लोगों को समझा-बुझाकर वहां से भेज दिया।
नाना व बहन ने लगाया गंभीर आरोप
अभिषेक के नाना और बहन ने इस पूरे मामले में पुलिस व सीएम दफ्तर से जुड़े लोगों पर गंभीर आरोप लगाया है। अभिषेक के नाना का कहना है कि अभिषेक ने अगर 29 मई को फोन किया था तो फिर एफआईआर उसी वक्त क्यों नहीं दर्ज करायी गयी थी। अभिषेक की शिकायत के बाद मीडिया में मामला सामने आने पर उसके खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज की गयी? बहन अल्पना ने तो पुलिस पर भरोसा न होने की बात कहते हुए मामले की सीबीआई जांच की मांग रखी है। फिलहाल परिवार वालों का कहना है कि उनको सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ पर भरोसा है, पर अधिकारी उनको गुमराह कर रहे हैं।
पेट्रोल पम्प के लिए मांगी थी जमीन
अभिषेक गुप्ता ने हरदोई जिले की संडीला तहसील केरैसो गांव में पेट्रोल पम्प का काम शुरू किया था। परिवार वालों का कहना है कि इसके लिए उसने बैंक से लोन भी लिया था। पेट्रोल पम्प खोलने के लिए कुछ जमीन की आवश्यकता थी। इसके बाद उसने शासन से जमीन आवंटन की मांग की थी। वहीं शासन ने आवेदन नियमानुसार न होने के कारण खारिज कर दिया था। अभिषेक के परिवार वालों ने बताया कि अभिषेक ने आटोमोबाइल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोम किया है। वह पेट्रोल पम्प खोलकर अपना कारोबार शुरू करना चाहता था। पेट्रोल पम्प जहां पर खोलने जा रहा है, उसके सामने कुछ ग्राम समाज की जमीन है। अभिषेक ने उसी जमीन के एलाटमेंट के संबंध में शासन में आवेदन किया था। नाना व बहन ने बताया कि इस बीच अभिषेक कई बार पंचम तल अधिकारियों से मिलने भी गया था, पर उसकी फाइल अटकी हुई थी। नाना व बहन ने बताया कि पेट्रोल पम्प के लिए अभिषेक ने इलाहाबाद बैंक से काफी लोन भी ले रखा है।
18 अप्रैल को ईमेल से राज्यपाल से की थी शिकायत
इस पूरे मामले में अभिषेक गुप्ता ने 18 मई को राज्यपाल रामनाईक को ई-मेल के माध्यम से अपनी शिकायत भेजी थी। शिकायत में उसने मुख्यमंत्री के सचिव पीएस गोयल पर 25 लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। राज्यपाल ने अभिषेक की शिकायत पर सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अभिषेक की मदद के लिए कहा था।
बहन का कहना सच बोलना अभिषेक को पड़ा भारी
सीएम आवास के बाहर मौजूद अभिषेक गुप्ता की बहन अल्पना का कहना है कि उनका भाई कोई आपराधी नहीं है। उसने कोई अपराध नहीं किया है। बस उसने एक सच को उजागर किया है और व्यवस्था पर सवाल उठाया है। अल्पना का कहना है कि यह करना अभिषेक को भारी पड़ गया। अगर सब कुछ लेनदेन से हो जाता तो शायद आज यह नौबत ही न आती। फिलहाल उन्होंने भी सीएम योगी आदित्यनाथ पर भरोसा जताते हुए न्याय की मांग की है।
कई घंटे की पूछताछ के बाद छोड़ा गया अभिषेक
सीएम के सचिव पर रिश्वत का आरोप लगाने वाले अभिषेक गुप्ता को शुक्रवार की शाम लम्बी पूछताछ के बाद पुलिस ने छोड़ दिया। एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि अभिषेक ने पेट्रोल पम्प के लिए इलाहाबद बैंक से एक करोड़ रुपये का लोन लिया था। वह एक लाख दस हजार रुपये ईएमआई जमा कर रहा था। जमीन के संबंध में किये गये आवेदन रद्दे होने के बाद वह मानसिक रूप से तनाव में था। इसके चलते वह भाजपा पदाधिकारी बन सीएम दफ्तर में फोन कर रहा था। एसएसपी ने बताया कि अभिषेक ने अपनी गलती मानते हुए लिखित माफीनामा हजरतगंज पुलिस को दिया। इसके बाद अभिषेक गुप्ता को पुलिस ने उसके नाना के हवाले कर दिया। इस बीच हिरासत में लिये गये अभिषेक गुप्ता का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस वीडियो में अभिषेक ने सीएम के सचिव पीएस गोयल पर रिश्वत के आरोप को गलत बताया। फिलहाल अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि यह वीडियो किसने बनाया। सवाल उठने लगा है कि अगर अभिषेक पुलिस हिरासत में था तो उसको वीडियो शायद पुलिस वालों ने ही बनाया है। इस वीडियो में अभिषेक से रिश्वत के संबंध में बातचीत की जा रही थी, जबकि पुलिस ने अभिषेक को फर्जी भाजपा नेता बन सीएम दफ्तर के अधिकारियों को फोन करने के मामले में उठाया था, न की रिश्वत के संबंध में पूछताछ के लिए।