दिल्ली एक बार फिर 2004 में हुई घटना जैसी ही गवाह बनने जा रही है. कांग्रेस की डूबती हुई नैय्या को पार लगाने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी एक बार फिर कमर कसती नज़र आ रही हैं. सोनिया गांधी साल 2017 में उसी रूप में नज़र आएगी, जिस रूप में अटल विहारी वाजपेयी और भाजपा को हराने के लिए नज़र आई थीं.
क्या है सोनिया गाँधी का प्लान
असल में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस बार फिर सभी विपक्षी पार्टियों एकजुट करने की मुख्य भूमिका निभाने जा रही हैं. लेकिन एक चिंताजनक बात यह है कि सोनिया गाँधी इन दिनों स्वास्थ्य समस्या से जूझ रही हैं. हाल ही में वो अमेरिका से जाँच और दवा करवा कर आई हैं. गुजरात में हुए दंगों और पोटा के इस्तेमाल ने उस वक्त सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली यूपीए में करीब 20 दलों को जोड़ने में एक अहम भूमिका निभाई थी. इस कारण से वाजपेयी शासन वाली एनडीए को काफी नुकसान उठाना पड़ा था.
यह भी पढ़े- जीएसटी बिल पास करने वाला तीसरा राज्य बना राजस्थान, विधानसभा में हुआ पारित
अब मोदी लहर पर सवार भाजपा का रथ क्षेत्रीय दलों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है. ऐसे में क्षेत्रीय पार्टियां को अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के साथ गठबंधन को बेहतर विकल्प कोई नहीं दिख रहा है. इसी कारण से वर्ष 2004 की यादें फिर ताजा होती दिख रही हैं.
हार का सामना भी हुआ
सोनिया के नेतृत्व वाली कांग्रेस और यूपीए 1999 लोकसभा चुनाव में हार गयी थी. लेकिन सोनिया गांधी और उनकी टीम ने मौके को पहचाना और 2004 में एक बड़ा गठबंधन (यूपीए) बनाया. सभी अलग-अलग विचारधारा की पार्टियाँ होने बावजूद वो एकजुट रहीं. उस समय इस गठबंधन ने तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के ‘इंडिया शाइनिंग अभियान’ की शाइनिंग खत्म कर दी थी.
बन रहा है 2004 जैसा मंच
विपक्षी पार्टिंयों के एकजुट होने का मंच कांग्रेस के नेतृत्व में बन रहा है. यह मंच अगामी राष्ट्रपति चुनाव में भी बड़ी भूमिका का निर्वहन करता दिख सकता है. ये राष्ट्रपति चुनाव सोनिया गांधी के एक्शन में लौटने का मौका भी कहा जा सकता है, क्योंकि पिछले काफी समय से कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ही फ्रंट सीट पर बैठे नजर आ रहे थे. लेकिन ऐसा लग रहा है कि अब सोनिया गांधी ने फिर कमान अपने हाथों में थाम ली है.
दरअसल, सोनिया गांधी इन दिनों राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को कड़ी चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रही हैं. वह अन्य पार्टियों के नेताओं से चर्चा कर रही हैं, ताकि विपक्ष की ओर से एनडीए के सामने राष्ट्रपति चुनाव में एक मजबूत प्रतिद्वंदी विरोध दर्शाने के लिए मैदान में उतारा जा सके. इनके बीच ही जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया से मुलाकात की. इस मुद्दे पर विभिन्न दलों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाने वालीं सोनिया ने मौजूदा राजनीतिक सियासत पर उनसे चर्चा हुई. इसके बीच तमाम विपक्षी दलों के लोगों ने सोनिया से मुलाकात की है.