सम-विषम योजना में 67 लाख दोपहिया वाहन और महिलाओं के लिए छूट की मांग करने पर एनजीटी ने दिल्ली सरकार को जमकर फटकारा। याचिका और उसकी मांगों को देखते ही एनजीटी ने कहा कि इसमें कोई गुणवत्ता नहीं है।
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पीठ ने कहा कि सिर्फ एक वैज्ञानिक और कानूनी वजह बताओ कि क्यों दोपहिया वाहनों को सम-विषम के दौरान छूट देना चाहिए। सरकार दोबारा याचिका दाखिल कर सकती है लेकिन जो भी छूट की मांग की जाए उसकी वजह पुख्ता, कानूनी व वैज्ञानिक हो।
दिल्ली सरकार ने इस आदेश के कुछ ही घंटो बाद पुरानी मांगों में फेरबदल कर दोबारा याचिका दाखिल कर दी और इस बार सम-विषम को एनसीआर में भी लागू करने की मांग की है। जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को यह आदेश दिया।
क्यों नहीं चलाते स्पेशल महिला बस
पीठ ने कहा कि सम-विषम योजना में महिला सुरक्षा पर मांग करने के अलावा आप सार्वजनिक परिवहन को बेहतर क्यों नहीं बनाते हैं। ऐसी महिलाएं जिनके पास कार नहीं है वे मेट्रो और बसों में यात्राएं करती हैं आप क्यों नहीं मेट्रो की तर्ज पर महिलाओं के लिए बस चलाते हैं।
उद्योग और निर्माण को राहत
एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण न फैलाने वाले उद्योगों को और ऐसे उद्योग जो सुविधाओं व खाद्य का जरूरी सामान बना रहे हैं उन्हें चलने की इजाजत दे दी है। इसके अलावा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे (दिल्ली-सोनीपत) का सशर्त निर्माण करने की भी इजाजत दे दी है। पीठ ने कहा कि किसी भी तरह से धूल से प्रदूषण नहीं होना चाहिए।
आरोप-प्रत्यारोप के खेल पर फटकार
सुनवाई के दौरान पीठ ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को कड़ी फटकार लगाई। पीठ ने कहा कि एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल छोड़िए। आखिर आप लोगों ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या किया?
दोबारा दाखिल हुई याचिका
सम-विषम मामले पर अब सुनवाई 16 नवंबर को होनी है। मंगलवार को दोबारा दिल्ली सरकार की ओर से याचिका एनजीटी में दाखिल कर दी गई। पुराने मुद्दों को ही इसमें शामिल किया गया है। वहीं इस बार याचिका में सम-विषम योजना को एनसीआर में भी लागू करने की मांग की गई है।
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