रतलाम। शादी कराकर 90 हजार रुपए की धोखाधड़ी करने के मामले में सात माह बाद नया खुलासा हुआ है। शादी कराने वाले गिरोह ने दुल्हन की उम्र 22 बताई थी लेकिन उम्र जांच के बाद 16 साल ही पाई गई। न्यायालय ने दुल्हन के नाबालिग साबित होने पर अब उसे जिला जेल की बजाय विदिशा के बालिका सुधार गृह भेजने के आदेश दिए हैं। इसके बाद उसे विदिशा भेज दिया गया।
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उल्लेखनीय है कि आरोपी प्रकाश पिता कन्हैयालाल कनोदिया (40) निवासी ग्राम रोलखुर्द थाना नागदा (उज्जैन), देवानंद पिता किशन (45) निवासी ग्राम आशादूदा जिला बुलढाना (महाराष्ट्र) और नितिन पिता भगवान सालुंके (34) निवासी ग्राम उमरगा तहसील तुरोली जिला उस्मानाबाद (महाराष्ट्र) ने एक लड़की को प्रिया पिता प्रवीण शिंदे (22) निवासी ग्राम सावलछ तहसील ताशगांव जिला सांगली (माहराष्ट्र) बताकर उसकी शादी 90 हजार रुपए लेकर फरियादी राहुल राठौड़ (26) निवासी हिम्मतनगर से नागदा (उज्जैन) स्थित बस स्टैंड के समीप गणेश मंदिर में 11 जून 2016 को कराई थी। देवानंद प्रिया का पिता बना था।
नितिन ने स्वयं को प्रिया का भाई बताया था। दूसरे दिन 12 जून को सभी खाचरौद पहुंचे और शपथ-पत्र बनवाए। 13 जून को वे उज्जैन गए और शाम को राहुल प्रिया को लेकर घर पहुंचा। इसके बाद प्रिया ने राहुल से अपने माता-पिता के पास जाने की जिद की थी और वहां से कहीं चली गई थी। इसके बाद राहुल ने दीनदयाल नगर थाने में रिपोर्ट की थी। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर प्रिया सहित चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने आरोपियों को न्यायालय में पेश किया था, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था।
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पिता ने दी जानकारी
समाचार पत्रों में प्रिया का फोटो व विवाह संबंधी खबरे छपने पर उसके असली दयाकिशन (परिवर्तित नाम) निवासी उल्लासनागर महाराष्ट्र को पता चला। इसके बाद वे रतलाम पहुंचे और अभिभाषक विस्मय अशोक चत्तर से मिले और उन्हें बताया कि जिस प्रिया को बालिग माना जा रहा है, वह 22 वर्ष की न होकर 16 वर्ष की है और धोखेबाज लोगों के चंगुल में फंस गई है। वह वर्ष 2015 से लापता है।
उसकी गुमशुदगी 16 अगस्त 2015 को उल्लासनगर थाना (महाराष्ट्र) में दर्ज कराई थी। काफी खोजबीन के बाद भी वह नहीं मिली और फिर एक दिन समाचार पत्रों में उसकी शादी कराने की बात उन्हें पता चली। इसके बाद एडवोकेट चत्तर ने उनके पिता से उसकी उम्र के सभी दस्तावेज लाने के लिए कहा। वे दस्तावेज लेकर आए, तब एडवोकेट चत्तर ने दस्तावेज न्यायालय में प्रस्तुत किए।
दस्तावेजों से साबित हुई नाबालिग
एडवोकेट चत्तर ने बताया कि प्रिया का असली नाम प्रिया नहीं है और आरोपियों ने जो मतदाता परिचय पत्र फरियादी राहुल को बताया था वह भी नकली है। मतदाता परिचय पत्र में उसका जन्म 1995 दर्शाया गया है। जबकि उसके पिता से स्कूल का प्रमाण-पत्र व आधार कार्ड लाकर दिया, उसमें उसकी उम्र 25 अप्रैल 2000 पाई गई। इन दस्तावेजों को न्यायालय में प्रस्तुत कर पिता के साक्ष्य अंकित कराते हुए बहस की गई।
न्यायालय ने प्रस्तुत दस्तावजों, एडवोकेट के तर्क व गवाहों के आधार पर पाया कि प्रिया का असली नाम प्रिया नहीं है और उसकी उम्र भी 22 न होकर 16 वर्ष है। सुनवाई के बाद न्यायालय ने आदेश दिया कि प्रिया नामक जिस लड़की को बालिग बताया गया है, वह नाबालिक है। उसके खिलाफ बाल न्यायालय में अभियोग पत्र व उसे बाल न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए।
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बालिका सुधार गृह भेजा
एडवोकेट चत्तर ने बताया कि न्यायालय के आदेश के बाद किशोरी को बालिका सुधार गृह विदिशा भेजा गया है। वहीं न्यायालय ने दीनदयाल नगर थाना प्रभारी को आदेशित किया है कि किशोरी के खिलाफ आगामी कार्रवाई या अभियोग पत्र बाल न्यायालय के समक्ष पेश करें।