सावन के महीने के पहले सोमवार को कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों ने सुरक्षाबलों के काफिले और अमरनाथ यात्रियों की एक बस को निशाना बनाया है। आतंकियों ने अनंतनाग में पुलिस के काफिले पर हमला करने के बाद अमरनाथ यात्रियों की एक बस पर फायरिंग की। इस हमले में 6 यात्रियों की मौत की हो गई। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में यह अमरनाथ यात्रियों पर हुई पहली आतंकी घटना है।अमरनाथ यात्रा में खुफिया अलर्ट और 40 हजार जवानों की तैनाती के बाद भी कैसे हो गया हमला?
साल 2001 में जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार थी तब अमरनाथ यात्रियों पर हुआ आतंकी हमला आखिरी था। 17 साल ऐसा कुछ नहीं हुआ। 21 जून, 2001 को षनाग के निकट हुई आंतकी घटना में 6 तीर्थयात्रियों समेत 13 लोगों की मौत हुई थी। जिसमें 2 पुलिस वाले भी शामिल थे। आतंकियों ने यात्रा के रास्ते में लैंड माइन से धमाका कर और गोलीबारी कर यात्रियों पर हमला किया था। यह घटना पवित्र गुफा से महज 19 किमी दूर हुई थी। इस जगह पर बड़ी मात्रा में सुरक्षा इंतजाम थे। इस आतंकी घटना के बाद यात्रा स्थगित कर दी गई थी। जब ये हमला हुआ था उस वक्त तकरीबन 3 हजार अमरनाथ यात्री शेषनाग में रात्रि विश्राम कर रहे थे।
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हमला करने वाला आतंकी साधु के भेष में तीर्थ यात्रियों के साथ धुलमिल गया था। उसने पहले से रास्ते में प्लांट की गई आईईडी डिवाइस को रिमोट के जरिए ब्लास्ट किया इसके बाद ऐके-47 राइफल से अंधाधुंध गोलियां चलाना शुरू कर दी। उस आतंकी की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी। सुरक्षा बलों को उसके पास से एक एके-47 राइफल और 4 मैगजीन बरामद हुई थी।
इस बार केंद सरकार का दावा किया था जम्मू-कश्मीर के खराब हालात के बावजूद अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। यात्रा के दौरान परिंदा भी पर नहीं मार सकता। लेकिन इस हमले के बाद सरकार के सारे दावे धरे के धरे रह गए।
2001 से पहले साल 2000 में पहलगाम में आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों को अपना निशाना बनाया था। इस हमले में 30 लोगों की जान चली गई थी। हमले के बाद प्रधानमंत्री ने पहलगाम का दौरा किया था और आतंकी हमले की निंदा की थी।