सरदार सरोवर बांध अपनी पूर्ण जल संग्रहण क्षमता से इस बार 17 फीसद खाली रह गया है। साल 2017 में सरदार सरोवर बांध के गेट लगे थे। इसके बाद बांध साल 2019 व 2020 में ही अपनी पूर्ण जल संग्रहण क्षमता से भर गया था, लेकिन इस साल 17 सितंबर को बांध को पूर्ण भरने के बाद उसे साढ़े तीन मीटर खाली करने का निर्णय कहीं न कहीं अब भारी पड़ता नजर आ रहा है।
इसका परिणाम अब यह होगा कि गुजरात को सिंचाई के लिए पानी का नुकसान है, तो मध्यप्रदेश को बांध से मिलने वाली बिजली में कटौती देखने को मिल सकती है। अमूनन एक बार बांध को पूर्ण रूप से भरने के बाद इस तरह से खाली करने के उदाहरण बहुत ही कम नजर आते हैं।
दरअसल, इस साल 17 सितंबर को बांध अपनी पूर्ण जल संग्रहण क्षमता 138.68 मीटर तक भर गया था। इसके बाद बांध के तलहटी में चलने वाले निर्माण कार्यों को पूर्ण करने के लिए 13 दिन में साढ़े तीन मीटर पानी इस उम्मीद में खाली कर दिया था कि बांध को 31 अक्टूबर तक एक बार फिर पूर्ण क्षमता तक भर लिया जाएगा, लेकिन अब यह नहीं हो पाया है।
ओंकारेश्वर बांध को तीन बार खाली करे, तब भरेगा सरदार सरोवर
मध्यप्रदेश के नर्मदा नदी पर बना अंतिम बांध ओंकारेश्वर है। यहां से जो पानी की निकासी होती है, वह सरदार सरोवर में जाती है। सरदार सरोवर बांध की कुल जल संग्रहण क्षमता 5769 एमसीएम है व बांध में 30 अक्टूबर तक जल संग्रहण 4800 एमसीएम है। ऐसे में बांध अभी 969 एमसीएम खाली है। मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर बांध की जल संग्रहण क्षमता 299 एमसीएम है, जो पूर्ण रूप से भरा है। यदि अब सरदार सरोवर को पूर्ण भरना है, तो ओंकारेश्वर बांध को तीन बार पूर्ण भरने के बाद खाली किया जाए, तब सरदार सरोवर भर सकता है।
30 दिन में महज 0.70 मीटर बढ़ा जलस्तर
सरदार सरोवर बांध का जलस्तर 1 अक्टूबर को 135 मीटर था, जो 30 अक्टूबर को बढ़कर 135.70 मीटर है। महज 30 दिन में बांध के जलस्तर में 0.70 मीटर ही पानी बढ़ा है व बांध अभी तीन मीटर खाली रह गया है। जबकि गत साल इस अवधि में बांध पूर्ण रूप से भरा हुआ था। इस बारे में सरदार सरोवर बांध के सूत्रों के अनुसार उस समय बांध में जिस तरह पानी की आवक हो रही थी, उसे ध्यान में रखकर यह निर्णय ले लिया गया था कि बांध को 135 मीटर के लेवल तक रख लिया जाए। एक माह में साढ़े तीन मीटर फिर से भर लेंगे, पर मध्यप्रदेश में बारिश का रुकना व बांधों से बिजली उत्पादन के साथ बांध के गेट बंद होने से अब सरदार सरोवर खाली रह जाएगा। आगे रबी के सीजन के लिए नहरों में पानी निकासी होगी, तो जलस्तर और कम होगा।
बांध व नहर दोनों से होता है बिजली उत्पादन
सरदार सरोवर बांध के गेट पर 200 मेगावाट की 6 टरबाइन लगी हुई है, जिससे 1200 मेगावाट बिजली बनती है। वहीं नहरों पर 50 मेगावाट की 5 यूनिट से 250 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है। ऐसे में अब नहरों से ही विद्युत का उत्पादन होगा। वहीं 17 फीसद बांध कम भरे होने से आगामी साल में गर्मी के समय में प्रभाव पड़ेगा। गौरतलब है कि सरदार सरोवर बांध की कुल बिजली उत्पादन में से मध्यप्रदेश को 57 फीसद, महाराष्ट्र को 27 फीसद व गुजरात को 16 फीसद हिस्सा मिलता है।