
अब पाल के हथियार डालने के साथ ही राज्य सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों की तादाद बढ़कर 219 तक पहुंच गई है। अब आकाश ही संगठन का अकेला ऐसा बड़ा नेता है जो पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। पाल पुरुलिया की अयोध्या पहाड़ियों और उससे सटे झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय था। वर्ष 2006 से 2011 के बीच वह भाकपा (माओवादी) की 34 सदस्यीय अयोध्या प्लाटून का मुखिया था।
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राज्य पुलिस मुख्यालय भवानी भवन में हथियार डालने के बाद रंजीत ने पहले से लिखा बयान पढ़ा जिसमें माओवादी आंदोलन को अप्रासंगिक करार दिया गया था। रंजीत का कहना था कि सशस्त्र संघर्ष के जरिए आम लोगों की भलाई संभव नहीं है। उसने कहा कि आम लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए इलाके में कई सरकारी योजनाएं चल रही हैं। अब वह भी विकास की इस प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहता है। इसलिए उसने पत्नी के साथ हथियार डाल कर एक नया जीवन शुरू करने का फैसला किया। पाल ने संगठन के दूसरे नेताओं से भी हिंसा का रास्ता छोड़ कर समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील की। रंजीत बांकुड़ा जिले के बरीकुल इलाके का रहने वाला है।
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