नहीं रहे महात्मा गांधी की जान की रक्षा करने वाले भीखू भिलारे का हुआ निधन

स्वतंत्रता सेनानी भीकूदाजी भिलारे का बुधवार को निधन हो गया. वे98 साल के थे. भिलारे गुरुजी के नाम से मशहूर भीकूदाजी गांधी जी के साथ अंग्रेजों से लड़े थे. कहा जाता है कि उन्होंने गांधी जी की जान भी बचाई थी.1994 में पंचगनी में नाथूराम गोडसे से गांधी जी की जान बचाई थी.नहीं रहे महात्मा गांधी की जान की रक्षा करने वाले भीखू भिलारे का हुआ निधन

कई लेखकों को दिए अपने इंटरव्यू में भिलारे ने कहा था जो कि एक छोटी बुकलेट में छपा था. उनहोंने कहा था कि पंचगनी में महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा में कोई भी शामिल हो सकता था. उस दिन उनके सहयोगी ऊषा मेहता, प्यारेलाल, अरुणा असफ अली और अन्य  प्रार्थना में मौजूद थें. उन्होंने बताया कि गोडसे दौड़ते हुए आया, उसके हाथ में चाकू था. वो कह रह था कि उसके पास गांधी के लिए कुछ सवाल हैं. भिलारे ने गोडसे को रोका, उसका हाथ मरोड़ा और चाकू छीन लिया. पर गांधी जी ने उसे जाने दिया..

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बता दें कि महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी के दस्तावेज भी इस ओर इशारा करते हैं. हालांकि कपूर कमिशन के अनुसार जुलाई 1944 की पंचगनी की जिस घटना का जिक्र भिलारे ने किया, वह कितनी सही है यहां तक कि ऐसी कोई घटना हुई भी थी कि नहीं, के बारे में कोई ठोस सबूत नहीं है.

हालंकि जब भिलारे के सहयोगी मणिशंकर पुरोहित को कमिशन के सामने पेश किया गया तो उन्होंने बताया कि यह घटना 1944 में नहीं जुलाई 1947 में हुई थी. इस घटना में भिलारे का कोई खास जिक्र भी नहीं था. कमिशन को बस इतना पता चला कि 1944 में उस दिन कुछ लोगों के कारण प्रार्थना सभा में  अशांति का माहौल बनाया गया था.

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महात्मा गांधी की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज जेके कपूर ने 22 मार्च 1965 को एक कमिशन बनाया. कमिशन को यह पता चला कि 1944 में गांधी को मलेरिया हो गया था. गांधी डॉक्टर की सलाह पर  आराम करने पंचगनी चले गए.

पंचगनी में की गई गांधी पर हमले की कोशिश

मणिभवन गांधी संग्रहालय, मुंबई के अध्यक्ष धीरूभाई मेहता ने 2008 में बताया था कि गोडसे के किसी भाई ने 1944 में पंचगनी में गांधी पर हमला करने की कोशिश की थी उन्होंने बताया कि यह घटना गांधी के करीबी सहयोगी प्यारेलाल के नाम से दर्ज की गई. मेहता ने बताया कि गांधी को मानने वाले चुन्नीलाल मेहता की किताब में भी यह बात लिखी गई है.

भिलारे ने किया जिंदगी भर गांधी के सिद्धांतों का अनुसरण

स्वतंत्रता सेनानी और वरिष्ठ किसानों और श्रमिक पार्टी के नेता एनडी पाटिल ने बताया,’ उन दिनों भिलारे हमारे जैसे युवाओं के हीरो हुआ करते थे. गोडसे से गांधी को बचाने वाली बात पूरे सतारा में फैल गई थी. तब मैं 15 साल का था. तब मैं और मेरे दोस्त भिलारे गुरुजी से मिलने साइकल से गए थे. उन्होंने सारी जिंदगी साधारण जी और गांधी के सिद्धांतों का अनुसरण किया.’

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