सैलाना में फिल्मी स्टाइल की तर्ज पर एक परिवार से गुम हुए बेटे की जगह दो बेटे हाजिर होने का मामला सामने आया है। इससे परिवार के सदस्य असमंजस में पड़ गए हैं कि किसी अपना लाड़ला मानें। बहरहाल, हाल ही में बेटा बनकर लौटा युवक घर पर है तो कोई पौने दो वर्ष पहले बेटा बनकर आया युवक अपने अन्य मुकाम पर।
ये कहानी है जूनावास के बायपास रोड पर रह रहे गोवर्धनलाल परिहार के परिवार की। नगर परिषद से सेवानिवृत्त हुए 67 वर्षीय गोवर्धनलाल के चार पुत्र जगदीश (42), कैलाश (38), तीसरे नंबर पर पूर्व में गुम हो चुका राजू उर्फ रोहित (36) और अंतिम पुत्र संदीप (26) है। 30 जुलाई 1994 को रोहित रतलाम के माणकचौक स्कूल से कक्षा 10वीं का फॉर्म लेने गया था और वापस लौटा ही नहीं। करीब साढ़े 22 साल पहले गए बेटे को परिजन ने काफी खोजा और गुमशुदगी थाने पर दर्ज करवाई थी।
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2014 में एक राजू मिला
12 फरवरी 2014 को सैलाना में साधुओं का जत्था बनारस से आकर कालिका माता मंदिर में ठहरा। इनमें से एक युवक साधु राजू पुरी महाराज जूनावास में परिहार के घर के आसपास पहुंचा और खोए हुए किशोर से जुड़ी बातें मोहल्लेवालों को बताई। जब यह बात परिजन तक पहुंची तो वे कालिका माता मंदिर पहुंचे तो पाया कि राजू पुरी महाराज तो खोया हुआ उनका बेटा है। महाराज ने स्वीकार भी कर लिया और कई बातें सही बताईं। अपने शिक्षकों को पहचाना और वापस गृहस्थ जीवन में लौटने से इंकार कर दिया। दो-तीन घंटे बाद राजू से कथित रूप से राजू पुरी महाराज बने दशनामी जूना अखाड़ा बनारस के महाराज वापस लौट गए, पर अपने मोबाइल नंबर दे गए। करीब पौने दो वर्ष तक पिता व भाइयों का उनसे मोबाइल पर संपर्क बना रहा। बीते एक माह से उनका मोबाइल बंद है।
अब एक राजू और आया
उधर, 31 दिसंबर की रात एक युवक पुन: परिहार के सामने राजू बनकर प्रकट हो गया। किसी से राजू ने भाई कैलाश के मोबाइल नंबर लेकर चर्चा की तो कैलाश ने उसे पहचानने से इंकार कर दिया। राजू रात में थाने पहुंच गया और थाना प्रभारी शिवांशु मालवीय से चर्चा कर मुंबई सांताक्रूज के पते वाला आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि पेश किए। सभी दस्तावेजों में पिता की जगह गोवर्धनलाल परिहार लिखा हुआ बताया और दावा किया कि वह ही परिहार परिवार का खोया हुआ असली बेटा है। रात में ही थाना प्रभारी ने कैलाश को बुलवाया और सलाह दी कि इस युवक को घर ले जाए और सारे रिश्तेदारों से चर्चा कर ले। इसकी बातें सही लग रही हैं।
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असमंजस में परिवार के सदस्य
परिहार परिवार के सामने एक बेटे के बदले में दो-दो बेटे सामने आ गए हैं। अब परिवार के सदस्य असमंजस में है कि आखिर किसे सही माने। नाते-रिश्तेदार एकत्र हुए और हाल ही में आए राजू से चर्चा की तो उसने हर बात का सही उत्तर दिया।
इसने ज्यादा ठोस प्रमाण दिए
राजू के पिता गोवर्धनलाल और बड़े भाई जगदीश बताते हैं कि बचपन में किसी बीमारी की वजह से राजू के कान में कराया गया छेद और कलाई पर दागने का निशान अभी भी है। ये दोनों निशानी महाराजजी में नहीं थी। परिवार पहले दिलीप मार्ग पर खाकी बाबजी मंदिर के पास रहता था। उन दिनों वहां हुई एक बड़ी घटना का भी राजू ने जिक्र किया। 1990 से 1994 के बीच सैलाना में हुए तीन हत्याओं को भी राजू ने सिलसिलेवार बताया। राजू डीएनए टेस्ट कराने के लिए भी तैयार है। उधर, महाराजजी ने ज्यादा बारीकी से पूछताछ करने पर आध्यात्मिकता की बात करने लगते थे। हालांकि परिहार परिवार कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है।
मैं ही हूं असली
बुधवार दोपहर ‘नईदुनिया” ने राजू से मुलाकात की तो उसने हर प्रश्न का सही उत्तर दिया। उसने बताया कि मुंबई में वह गैरेज पर काम करता है। पता नहीं कैसे घर छोड़ दिया था, पर घर की याद सताती थी। चार बार पहले भी सैलाना आया, लेकिन तब माता-पिता के सामने आने की हिम्मत नहीं हुई। मुझे कुछ नहीं चाहिए। ये लोग मुझे अपना ले। मैं ही असली राजू हूं।