इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक आरबीआई ने बताया कि 2016 के मई, जुलाई और अगस्त महीने में हुई बोर्ड मीटिंग में नोटबंदी का कोई जिक्र नहीं हुआ था। 2000 के नोट लाने के प्रस्ताव को जब मंजूरी दी गई थी उस वक्त रघुराम राजन आरबीआई के गवर्नर थे।
आरबीआई ने बताया, 8 नवंबर 2016 को आरबीआई की केंद्रीय बोर्ड की बैठक के बाद सरकार को 500 और 1000 के नोट बंद करने का प्रस्ताव भेजा गया। हालांकि 8 नवंबर को यह मीटिंग किस समय हुई यह बताने से आरबीआई ने इंकार कर दिया।
इस पूरे मामले की शुरूआत 7 अक्टूबर, 2014 को हुई जब आरबीआई ने सरकार को 5000 और 10,000 के नोट लाने का सुझाव भेजा। हालांकि सरकार ने उस समय पर इस पर कोई फैसला नहीं लिया। करीब इसके दो साल बाद 18 मई, 2016 को सरकार ने आरबीआई ने 2000 के नए नोट लाने का सुझाव भेजा, जिसके बाद आरबीआई ने 27 मई, 2016 को आरबीआई ने सरकार को 2000 के नोट लाने का प्रस्ताव भेजा।
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2000 के नोट लाने के आरबीआई के प्रस्ताव को सरकार ने 7 जून को मंजूरी दी। इसके ठीक 5 महीने बाद 7 नवंबर को सरकार ने आरबीआई को 500 और 1000 के नोट को बंद करने का सुझाव दिया। सरकार की तरफ से 500 और 1000 के नोटों को बंद करने के सुझाव आने के बाद अगले दिन 8 नवंबर को आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की बैठक हुई। जिसके बाद आरबीआई की तरफ से सरकार को नोटबंदी का प्रस्ताव भेजा गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी दिन शाम को देश के नाम अपने संबोधन में नोटबंदी के फैसले का ऐलान किया था।