भारतीय फर्राटा धाविका दुती ने 18वें एशियाई खेलों में महिला 100 मीटर दौड़ का रजत पदक जीतने के बाद कहा कि वह आंखें बंद करके दौड़ रही थीं. आईएएएफ ने 2014 में अपनी हाइपरएंड्रोगेनिजम नीति के तहत दुती को निलंबित कर दिया था, जिस वजह से उन्हें उस साल के राष्ट्रमंडल खेलों के भारतीय दल से बाहर कर दिया गया था.
ओड़िशा की 22 साल की दुती ने आईएएएफ के फैसले के खिलाफ खेल पंचाट में अपील दायर की और इस मामले में जीत दर्ज करते हुए वापसी की. वह अपने पहले एशियाई खेलों में हिस्सा ले रही हैं.
दुती ने कहा, ‘2014 मेरे लिए बहुत बुरा साल था. लोग मेरे बारे में कई तरह की बात कर रहे थे. उसी लड़की ने आज वापसी की और देश के लिए पदक जीतने में सफल रही. यह मेरे लिए बड़ी सफलता है.’
उन्होंने कहा, ‘सेमीफाइनल के शुरुआती 20 मीटर में मैं तेज नहीं दौड़ी थी. मेरे कोच ने मुझे इस बारे में बताया और कहा कि मुझे तेज शुरुआत करनी होगी. फाइनल में शुरुआती 40 मीटर में मैं काफी तेज दौड़ी. मैं आंखें बंद कर के दौड़ रही थी. पदक के बारे में सोचे बिना मैं अपने समय को बेहतर करना चाह रही थी.’
दुती ने कहा, ‘जब मैंने आंखें खोलीं, दौड़ पूरी हो चुकी थी. मुझे नहीं पता था कि क्या हुआ. लोगों ने कहा कि मैं पदक जीत गई हूं, लेकिन मुझे विश्वास नहीं हुआ, मैंने स्क्रीन पर नतीजा देखने के बाद ही झंडा उठाया.’
सातवें नंबर की लेन में दौड़ रही दुती ने 11.32 सेकेंड का समय लिया, जो 11.29 सेकेंड के उनके राष्ट्रीय रिकॉर्ड से मामूली रूप से कम है. बहरीन की ओडियोंग एडिडियोंग ने करीबी मुकाबले में 11.30 सेकेंड के समय के साथ सोने का तमगा जीता, जबकि चीन की वेई योंगली ने 11.33 सेकेंड के समय से कांस्य पदक हासिल किया.
भारत ने एशियाई खेलों की 100 मीटर महिला दौड़ में पिछली बार 1998 में पदक जीता था, जब ऋचा मिस्त्री कांस्य पदक जीतने में सफल रही थीं.
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