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	March 28, 2017	
	
			
				
					
					
					बेंगलुरु के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के परिवार ने 22 साल से अपने पानी के बिल का भुगतान नहीं किया है. इसके पीछे का कारण यह है कि एआर शिवकुमार पानी के कनेक्शन के बिना ही अपना काम चला रहे हैं, न केवल स्नान और धोने के लिए, बल्कि पीने के लिए भी वह बारिश के पानी का ही उपयोग कर रहे हैं.
कर्नाटक स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टैक्नोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने दो दशक से भी ज्यादा समय से अपने हरे रंग का घर तैयार किया हुआ है. इनके द्वारा तैयार किया गया जल संचयन प्रणाली रोजाना 400 लीटर से ज्यादा पानी पैदा करता है. इसका मतलब है कि इस साल अपेक्षित कम वर्षा के कारण जहां राज्य को लगातार दूसरे वर्ष भी सूखे का सामना करना पड़ सकता है, वहीं शिवकुमार की जरूरतों के लिए इतना पानी पर्याप्त होगा.
शिवकुमार कहते हैं, ‘बेंगलुरु को इन सूखे वर्षों के अलावा लगभग 900-1000 मिलीमीटर वर्षा प्राप्त होती है. उन्होंने बताया कि वर्षा जल संचयन के माध्यम से वह सालाना 2.3 लाख लीटर पानी एकत्र कर लेते हैं, जो उनके लिए पर्याप्त है, लेकिन 2.3 लाख लीटर पानी औसत परिवार के चार सदस्यों के उपयोगों की तुलना में कहीं अधिक हैं. अगर इसे सही तरीके से व्यवस्थित की जाएं, तो टैंकों को एक मानक 40/60 फुट प्लोट में बनाया जा सकता है, जो कि एक छोटे से परिवार की जरूरतों की तुलना में अधिक होगा.
शहर के वर्षा पैटर्न की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा, बैंगलोर में लगातार दो बार बारिश के बीच 90-100 सूखे दिन हैं. “उस गणना के आधार पर, हमारे पास 45000 लीटर के लिए भंडारण क्षमता है और प्रभावी रूप से हमें केवल 40,000 लीटर की जरूरत है, यानी 100 दिन के लिए 400 लीटर प्रति दिन,  लेकिन हमारे पास यह 45,000 लीटर आपातकाल के लिए हैं.”
 
एआर शिवकुमार ने दो दशक पहले अपने घर का निर्माण किया था. उन्होंने कहा उनका परिवार लगभग 400 लीटर प्रति दिन का उपयोग करता है. “एक वर्ष में हमें केवल 1 से 1.5 लाख लीटर की जरूरत है, इसलिए हमें इस व्यवस्था की आवश्यकता ज्यादा है.” उन्होंने कहा कि पानी का इस्तेमाल सावधानी से किया जाता है. रसोईघर के सिंक से और वॉशिंग मशीन से पानी इकट्ठा करके शौचालय फ्लश में इसका इस्तेमाल करना रीसाइक्लिंग का एक बड़ा हिस्सा है.
उनका कहना है कि जल संचयन प्रणाली सरल है- ढलान छत से पानी भूमिगत टैंक में एकत्र किया जाता है, जहां शुद्धि प्रक्रिया होती है. शिवकुमार ने कहा कि यह एक परिवार का प्रयास है. 28 साल की उनकी पत्नी सुमा, उनके बेटे अनूप और बहू वामिका अपने हिस्से का काम करते हैं, क्योंकि जल संरक्षण उनके लिए जिंदगी का एक रास्ता बन गया है.
										
									 
				22 साल विज्ञान के इस्तेमाल से ये नही दे रहे पानी का बिल कर्नाटक स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टैक्नोलॉजी टैक्नोलॉजी पढ़े पूरी ख़बर... वरिष्ठ वैज्ञानिक वॉशिंग मशीन				2017-03-28
								
								
								
			 
		
		
		
				
				
		
			
			
			
					
		
				
	 
	
 
				
 
 
 
	
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