27 फरवरी 17…आज एक तस्वीर देख रही थी, उसी का प्रसंग याद आया, वही बताती हूँ….एक दिन सर्दी की गुनगुनी धूप में मैं और श्रीगुरुजी सुबह आश्रम में टहल रहे थे…. कुछ बच्चे आश्रम में badminton खेल रहे थे, उन्हें ख़ुशी से खेलते देख कर मेरे मन में एक भाव आया…, मैंने कहा,” कुछ ऐसा करिये कि जो भी लोग आश्रम से जुड़ें, आपके राष्ट्र-हित के उद्देश्य में स्वयं को समर्पित करें,उनके जीवन में कोई कष्ट न आये, क्योंकि विश्वास जमने में बहुत समय लगता है पर टूट झटके में जाता है।”
बच्चों की shuttle cock इनके पास आ गिरी, उसे उठाते हुए श्रीगुरुजी बोले,” जो प्रभु का ध्यान करता है, उस का काम करता है, प्रभु भी उसे प्रेम करते हैं पर इस दौरान कष्ट आये ही ना, यह संभव नहीं…हमारे पूर्वजन्म के कर्मों का हिसाब-किताब भी तो होना होता है पर फिर भी अगर हमारा विश्वास ना डिगे, तो प्रभु हमारा हाथ कभी नहीं छोड़ते….आप ही बताएं , क्या हमारे जीवन में समस्याएं नहीं हैं… पर हमारा विश्वास तो नहीं डगमगाया…”।
” हाँ, मैं मानती हूँ पर फिर भी अपने परिवार के लिए कुछ तो करना ही होगा न…!” मैंने हठ करते हुए कहा ।
“आप हमेशा ऐसे ही करती हैं…मेरे हाथ में क्या है, मैं तो बस माता रानी से प्रार्थना ही कर सकता हूँ….अच्छा, shuttle cock तो यहीं आ गयी, Badminton खेलेंगी?”
मैंने पल्लू कमर में खोंसकर कहा, ” क्यों नहीं, पर मेरी बात पर ध्यान दीजियेगा ….!”
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