अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन से धरती पर पहुंचने में 17 घंटे का लंबा वक्त लगा। नासा ने सुनीता की वापसी का प्लान बहुत सावधानी से तैयार किया था। सुनीता विलियम्स और उनके साथ फंसे दूसरे अंतरिक्ष यात्री को स्पेसएक्स कंपनी के जिस ड्रैगन विमान से लाया गया वह आग के गोले से कम नहीं था। आगे समझते हैं उनके सफर की पूरी कहानी।
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनिता विलियम्स 9 महीने बाद धरती पर लौटी हैं। नासा के सभी 4 यात्री स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट कैप्सूल के जरिए ISS से धरती पर लौटे। आइए जानते हैं, धरती से अंतरिक्ष तक कैसी थी उनकी यात्रा और ड्रैगन कैप्सूल स्प्लैश डाउन करने के बाद क्या-क्या हुआ।
नासा के मुताबिक अंतरिक्ष यात्रियों ने पृथ्वी पर लौटने से पहले इन्होंने पृथ्वी की 4,500 बार परिक्रमा की थी और 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से करीब 19 करोड़ किलोमीटर की यात्रा की। उन्हें इस यात्रा में 17 घंटे का वक्त लगा।
28 हजार किलोमीटर प्रति घंटा थी कैप्सूल की रफ्तार
धरती पर लौटने की यात्रा में स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट का सबसे मुश्किल चरण पृथ्वी के वायुमंडल में एंट्री के दौरान था। इस दौरान स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की थी। जिसके घर्षण के कारण स्पेसक्राफ्ट के बाहरी हिस्से का तापमान करीब 1,600 डिग्री सेल्सियस था।
इतने ज्यादा तापमान होने के कारण स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में एक आग के गोले की तरह उतर रहा था।वहीं, स्पेसक्राफ्ट में लगे हीट शील्ड के कारण उसमें बैठे सभी अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित धरती पर लौट आए।
कैप्सूल ने हीट-रेजिस्टेंट का किया इस्तेमाल
ड्रैगन कैप्सूल ने धरती के वायुमंडल के ताप से बचाव के लिए PICA के फेनोलिक-इम्प्रेगनेटेड कार्बन एब्लेटर के हीट-रेजिस्टेंट केसिंग का इस्तेमाल किया था। इस लाइट वेट मेटेरियल का इस्तेमाल सबसे पहले नासा ने ही किया था। बाद में, स्पेसएक्स ने अपने ड्रैगन कैप्सूल को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से कार्गो और मानव आंदोलन के लिए PICA टाइलों से सुसज्जित किया।
स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल PICA के फेनोलिक-इम्प्रेगनेटेड कार्बन एब्लेटर के गर्मी प्रतिरोधी आवरण से सुसज्जित है। यह नासा ही था जिसने पहली बार इस हल्के पदार्थ का इस्तेमाल किया था। बाद में, स्पेसएक्स ने अपने ड्रैगन कैप्सूल को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से कार्गो और मानव आंदोलन के लिए PICA टाइलों से सुसज्जित किया।
ड्रैगन कैप्सूल को क्यों लगे 17 घंटे
सुरक्षित तरीके से वापस लौटने के लिए स्पेसक्राफ्ट को नियंत्रित डीअर्बिट बर्न करना पड़ा। डीआर्बिट बर्न का मतलब है स्पेसक्राफ्ट का खुद को स्प्लैशडाउन साइट के हिसाब से सही ट्रैजेक्टरी में लाना। लैंडिंग के दौरान कैप्सूल वायुमंडलीय घर्षण की वजह से अत्यधिक गर्म हो जाता है, जिससे स्पेसक्राफ्ट और चालक दल का धीरे-धीरे नीचे उतरना जरूरी हो जाता है।
स्पेसक्राफ्ट के उतरने की गति को धीमा करने के लिए ही पैराशूट तैनात किए जाते हैं, जिससे सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित होती है। स्पेसएक्स मौसम की स्थिति, समुद्री धारा और रिकवरी जहाज की स्थिति के आधार पर लैंडिंग साइट का चयन करता है।