वैशाख शुक्ल पूर्णिमा हिंदू और बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए विशेष महत्व का दिन है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा पर 297 वर्ष बाद एक विशेष संयोग बन रहा है। गौतम बुद्ध की जयंती और निर्वाण दोनों एक ही दिन हैं। भगवान बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार थे।
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बुधवार को भगवान बुद्ध की जयंती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध को बौद्ध गया में बोधि वृक्ष के नीचे बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस दिन गंगा में स्नान करने पर मनुष्यों के कई जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं।
उत्तराखंड विद्वत सभा के पूर्व उपाध्यक्ष आचार्य भरत राम तिवारी के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा बुधवार अलसुबह 1.05 बजे पर शुरू होगी और बृहस्पतिवार को सुबह 3.15 बजे तक रहेगी। इस दौरान मेष राशि का सूर्य, तुला राशि का चंद्रमा व कन्या राशि का गुरु, सिंह राशि के नवांश में रहेगा।
आचार्य सुशांत राज ने बताया कि 297 वर्ष पूर्व वैशाख पूर्णिमा पर इस वर्ष बुद्धादित्य सहित कई ग्रहों एवं नक्षत्र की युति से विशेष संयोग बना था, जो इस बार भी बन रहा है। उन्होंने बताया कि शनि एवं बृहस्पति के वक्री काल में यह अति दुर्लभ योग माना जाएगा।
गुरु-मंगल का नव पंचम योग व्यापार में वृद्धि कारक है। गुरु-शुक्र का समसप्तक योग आने वाले समय में अच्छी वर्षा का कारक है। शनि-मंगल का षडाष्टक योग देश की सैन्य शक्ति बढ़ाने वाला माना जाता है। वहीं बुद्ध पूर्णिमा को तीर्थ स्थानों पर स्नान कर भगवान विष्णु का ध्यान करना विशेष माना जाता है।