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मेवात जिला के 443 गावों में करीब 60 फीसदी गावों में पीने योग्य पानी नहीं हैं, जमीनी पानी खारा है। मेवात जिला के कुछ गांवों के छोड़कर केवल अरावली पर्वत श्रंखला की तलहेटी में ही पीने लायक पानी है।
जहां भी वाटर लेवल काफी गहरा चला जाने की वजह से अधिक्तर बोरवैल खराब हो गये हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने 425 करोड रुपये की लागत से 2 अक्तूबर 2004 को पुन्हाना खण्ड के गांव मढियाकी में रेनीवेल परियोजना का शिलान्यास किया था।
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गांव के अंदर जमीनी खारा पानी है। करीब 30 साल पहले मेवात में बारिश हो जाती थी उनसे पानी का वाटर लेबल ऊपर आने की वजह से वे गांव में कच्चे कुएं से आठ से दस फीट तक खोदकर अपनी प्यास बुझा लेते थे।
उसने गांव को वाटर सप्लाई से भादस और घाघस से तो जोड़ रखा है पर कभी उनमें पानी आता ही नहीं हैं। गांव अकलीमपुर के सरपंच असरूदीन का कहना है कि उनके गांव पानी आता ही नहीं हैं। उनका आरोप है कि रैनीवैल के पैसे को खुर्द-बुर्द कर दिया गया है। कहते हैं, चुनाव आता है तो वोट लेकर चले जाते हैं है पानी का वादा। लेकिन बाद में कोई पूछने नहीं आता।
हबीब निवासी गंडूरी का कहना है कि उनके गांव को संगेल से जोड रखा है पर उसमें कभी पीने का पानी आता ही नहीं हैं। अब तो उनके कुओं में भी पानी नहीं है। गावों के तालाब सूखे पड़े हैं। समाजसेवी खालिद हुसैन मढी का कहना है कि उनके इलाके में एक-दो गांव नहीं बल्कि पूरे 20 गांव है जो पिछले 30 साल से पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।
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