1 अप्रैल 17….मैंने श्रीगुरुजी से पूछा, “यह बताइये कि यह कैसे पता चलता है कि यह हमारा अंतिम जन्म है और हमें मोक्ष मिल जाएगा ?”
श्रीगुरुजी ने कहा, “वैसे तो व्यक्ति की कुंडली से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह जन्म मोक्ष कारक है, अन्यथा ध्यान-साधना से यह पता चल जाता है कि अब परमात्मा में विलय होने का समय आ गया है और ईश्वरीय आदेश क्या है…, इसलिए तो मैं ध्यान करने पर ज़ोर देता हूँ। ध्यान एक ऐसा जादुई चिराग है जो आपकी लौकिक-अलौकिक समस्त इच्छाओं को पूर्ण करता है और सही दिशा भी दिखाता है, बस इसका अभ्यास करने की आवश्यकता है….हाँ , एक महत्वपूर्ण बात और ….
मोक्ष की तैयारी जीवन रहते ही होती है, मरने के बाद तय नहीं होता कि व्यक्ति को मोक्ष दिया जाएगा या नहीं ?”
“….और वह तैयारी अच्छे कर्मों से, ईश्वर के प्रति अटूट समर्पण से और प्रपंचो से दूर रहने से होती होगी….है न ?” मैंने बीच में पूछा। “जी…जी…यह तो है … पर इसमें ध्यान-साधना को तो आप भूल हीं गयीं ….” श्रीगुरु जी ने आगे जोड़ा।
“नहीं जी, भूल कैसे सकती हूँ – that goes without saying… हाँ एक बात कहना चाहती हूँ ,क्या आप मानेंगे?”
“ऐसी क्या बात है जो पहले ,मानने का commitment चाहिए”, इन्होंने आश्चर्य से कहा ।
” बस मैं यह चाहती हूँ कि अगर आपको मोक्ष मिले तो मुझे भी और यदि आपका पुनर्जन्म हो, तो मेरा भी और मुझे फिर से आपकी पत्नी बनने का सौभाग्य मिले….” मैंने मनुहार करते हुए कहा ।
…..ज़वाब क्या मिला ….वो तो आप समझ ही गए होंगे ।