6 अप्रैल 17….आज मैं आपको वह किस्सा सुनाती हूँ जो कल सुनाना चाहती थी। बात 2013 की है। तब श्रीगुरुजी तेज़ चैनल पर एक शो करते थे ‘Pawan Sinha Live’।ऋषिकेश में आश्रम का साधना शिविर प्रातः 4 बजे,योगाभ्यास से शुरू होना था ।Sunday को रात के11 बजे show करके ये सीधे ऋषिकेश के लिए निकले।हमारे Driver भैया हरीश जी गाड़ी चला रहे थे और साथ में आश्रम कार्यकर्ता प्रमोद जी थे।हरीश जी रास्ता भटक गए औऱ गलती से वो गाड़ी Rajaji National Park की तरफ मोड़ गए। इनकी आंख लग गयी थी सो इन्हें पता नहीं चला।हरीश जी के चीखने से इनकी आंख खुली…..गाड़ी के आगे लकड़बग्घे, जंगली हाथी घूम रहे थे।स्थिति नाज़ुक थी…समय भी 3.15 हो चुका था।हरीश जी कांपती टांगों से गाड़ी भी नहीं चला पा रहे थे और प्रमोद जी की तो बोलती ही बंद थी ।
ये बोले ,” हरीश जी आप हटें, मैं गाड़ी चलाता हूँ।”हरीश जी पलक झपकते ही पीछे थे और प्रमोद जी का हाथ थामे बैठ गए। गाड़ी ने रफ्तार पकड़ी…अब एक और समस्या थी ….चूंकि आश्रम शिविर में shave इत्यादि की अनुमति नहीं होती, सो पाँच दिवसीय शिविर आरम्भ होने से पहले shave भी करनी थी और वस्त्र भी बदलने थे।समय बीतता जा रहा था। इन्होंने गाड़ी चलाते- चलाते shave किया, spray bottle से मुँह धोया, कपड़े बदले….और इस दौरान हरीश जी और प्रमोद जी कभी बाहर जंगली जानवरों को देखेते ,कभी गाड़ी का speedometer और कभी अंदर के क्रियाकलापों को…।
इधर शिविर स्थल पर रोहित जी परेशान थे….सबको वक़्त की पाबंदी की हिदायत देने वाले श्रीगुरुजी अभी तक नहीं पधारे थे…और यह आश्रम का पहला शिविर था ,सो इनके अतिरिक्त और किसी को अधिक जानकारी भी नहीं थी। 4 बजने में सिर्फ 4-5 मिनट ही बाकी थे। सारे शिविरार्थी भी पंक्तिबद्ध होकर योगाभ्यास के लिये तैयार थे ……
अचानक दूर से एक जोड़ी headlight चमकी…शयूँssssss करती हुई गाड़ी योगाभ्यास स्थल पर रुकी ….driving seat से हम सबके Icon की entry हुई ( he is more than a hero ,right ?)…बिल्कुल fresh, तैयार, मुस्कुराहट के साथ….सटीक 4 बजे……और पीछे बैठे दोनों अभी तक अपनी धड़कनों पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे…