पटना : अगर आप अपने बच्चों के लिए लीची खरीद रहे हो तो सावधान हो जाएं क्योंकि आप अंजाने में अपने ही बच्चों को मौत के मुंह में ढकेल रहे हो। बिहार में पिछले कई सालों में भारी संख्या में बच्चों की जिंदगी लेने वाली संदिग्ध बीमारी का पता चल गया है।
स्थानीय निवासियों में चमकी नामक बीमारी प्रत्येक वर्ष मई-जून के महीने में सिर उठाता है जिससे बहुत सारे बच्चों की मौत हो जाती है। आप जानकर चौंक जाएंगे कि साल 2014 में इस रोग से ग्रसित 390 बच्चों को दो अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। बता दें 390 में से 122 बच्चों की मौत हो गई।
हिन्दुस्तान और अमेरिका के SCIENTISTS के साझा प्रयासों से खुलासा हुआ है कि खाली पेट अधिक मात्रा में लीची खाने के कारण ये बीमारी हुई है। 3 वर्षों तक चली इस RESEARCH के परिणाम मशहूर विज्ञान पत्रिका लैंसेट ग्लोबल में प्रकाशित हुई है। वैज्ञानिकों की मानें तो लीची में हाइपोग्लिसीन ए और मिथाइलेन्साइक्लोप्रोपाइल्गिसीन नाम का जहरीला तत्व होता है। इस बीमारी से ग्रसित बच्चें जो अस्पतालों में भर्ती थे, उनकी पेशाब एवं खून की जांच से पता लगा कि उनमें इन तत्वों की मात्रा मौजूद थी। अधिकतर पीड़ित बच्चों ने शाम का भोजन नहीं किया था एवं सुबह के वक्त भारी मात्रा में लीची का सेवन किया था। ऐसे हालात में इन तत्वों का असर काफी खतरनाक स्तर तक होता है।
कुपोषण के शिकार व पहले से बीमार चल रहे बच्चें अगर ज्यादा लीची खाते हैं तो इस बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टरों ने बच्चों को सीमित मात्रा में लीची खाने और उसके पहले संतुलित भोजन लेने की सलाह दी है। केंद्र सरकार ने इस बारे में एक निर्देश भी जारी किया है। चमकी नामक बीमारी के शिकार हुए बच्चों के माता-पिता ने बताया कि लीची पैदा होने वाले दिनों में बच्चे ज्यादातर समय लीची के बागीचें में व्यतीत करते हैं और इस दौरान अपना सामान्य खानपान भी भूल जाते हैं।
आपको बताते चलें कि मुजफ्फरपुर के इलाके में लीची खूब पैदा होती है और दुनिया भर के बाजारों में यहां से भेजी जाती है।