5 जुलाई को उपच्छाया चंद्रग्रहण है। इसका केंद्र उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका है। जबकि भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देने वाला है। धार्मिक मान्यता है कि जब ग्रहण के समय सूरज और चांद अपने पूर्व स्वरूप में दिखाई देता है, तो सूतक काल प्रभावी नहीं होता है। अतः इस ग्रहण का प्रभाव लघु और आंशिक रहने वाला है। जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हर एक ग्रहण का अति विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस दौरान आकाश में कई घटनाएं घटती हैं, जिनसे विज्ञान को नया आयाम मिलता है। आइए, उपच्छाया चंद्रग्रहण के बारे में विस्तार से जानते हैं-
ग्रहण कितने तरह के होते हैं
ग्रहण तीन तरह के होते हैं। पूर्ण चंद्रग्रहण में चंद्रमा के आकर में परिवर्तन होता है। जबकि आंशिक चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का कुछ भाग नहीं दिखता है। उपच्छाया चंद्रग्रहण पड़ने पर आकार में कोई बदलाव नहीं होता है।
उपच्छाया चंद्रग्रहण का समय
यह भारतीय मानक समय के अनुसार, सुबह में 8 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा। जबकि ग्रहण का अधिकतम प्रभाव सुबह में 9 बजकर 59 मिनट पर होगा। उपच्छाया चंद्रग्रहण जब पृथ्वी और चंदमा के बीच सूर्य होता है और चंद्रमा पृथ्वी के बाह्य छोर से होकर गुजरता है तो इस घटना को उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं।
इस वहज से उपच्छाया चंद्र ग्रहण पूरे विश्व में नहीं दिखाई देगा। यह उन क्षेत्रों में दिखाई देगा, जो पृथ्वी के बाह्य केंद्र में स्थित है। इस दौरान चांद के आकार में भी कोई बदलाव नहीं होगा, बल्कि वह अपने पूर्ण रूप में रहेगा। हालांकि, उसकी रौशनी मटमैली जरूर हो जाएगी।
धार्मिक पक्ष
धार्मिक मान्यता है कि जब ग्रहण दिखाई नहीं देता है तो सूतक नहीं लगता है। अतः इस ग्रहण में कोई धार्मिक नियम लागू नहीं होता है। हालांकि, ग्रहण के बाद घर की साफ-सफाई और स्नान-ध्यान जरूर करें, क्योंकि राहु और केतू का नकारात्मक प्रभाव चंद्रमा पर रहती है, जिससे व्यक्ति भी दोषग्रस्त हो जाता है। खासकर गर्भवती महिलाओं को इस ग्रहण के समय भी अपना विशेष ख्याल रखना चाहिए।