भारत में 54 साल गुजारने के बाद कुछ समय पहले चीन लौटने वाले चीनी सैनिक वांग छी ने अब भारतीय सेना की ओर से कथित तौर पर प्रताड़ित किए जाने के कारण भारत से मुआवजा मांगा है.वांग छी ने इस मुआवजा के लिए बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास में अपना आवेदन दिया है. वह मंगलवार को बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास गए और अपना ज्ञापन सौंपा. भारतीय अधिकारियों ने वादा किया कि वे अधिकारियों को इसे पहुंचा देंगे.
चीन से भी मांगी सुविधाएं
टीओआई में छपी खबर के अनुसार , वांग ने दावा किया है कि उन्होंने पांच दशक मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिले में बड़ी मुश्किल के साथ बिताए और इसके बदले में उन्हें भारतीय सेना की ओर से मुआवजा दिया जाना चाहिए. उन्होंने रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली सरकारी सुविधाएं को लेकर चीनी सरकार को भी एक पत्र लिखा है.
वांग ने खुद को एक मैकेनिकल सर्वे इंजीनियर बताया और दावा किया कि उन्हें 3 जनवरी, 1963 को भारतीय सेना ने गिरफ्तार कर लिया था. वांग के बेटे विष्णु जो अभी मध्यप्रदेश के बालाघाट में रहते हैं, ने इस खबर की पुष्टि की कि उनके पिता ने मंगलवार को चीन में भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की है, लेकिन उन्हें यह आइडिया नहीं कि उनके बीच क्या बातचीत हुई.
10 फरवरी को खत्म हो रहा है वीजा
उन्होंने कहा, “पिता वांग का वीजा 10 फरवरी को खत्म हो रहा है, अधिकारियों ने उन्होंने आश्वस्त किया है कि उनके वीजा की अवधि 2 महीनों के लिए बढ़ा दी जाएगी.” वांग अभी चीन के झीओझाइनान में अपने पैतृक गांव में रह रहे हैं, जबकि उनके बेटे और पोते बालाघाट के तिरोड़ी गांव में रह रहे हैं. वांग की पत्नी की कुछ महीने पहले नागपुर में स्वाइन फ्लू के कारण मौत हो गई थी.
गलती से भारतीय सीमा में घुसे थे वांग
वांग ने आरोप लगाया कि उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें खूब टॉर्चर किया गया. वांग का कहना है कि वह 62 के युद्ध के बाद 1963 में गलती से भारतीय सीमा में घुस गए और पकड़ लिए गए. वहीं भारतीय अधिकारियों का कहना है कि वो भारत में बिना कागज़ात के घुसे और उनके साथ एक जासूस की तरह व्यवहार किया गया.
वांग गिरफ्तारी के बाद भारत कई जेलों में 7 से 8 साल रहे, फिर होने के बाद वह मध्य प्रदेश के एक गांव तिरोड़ी में रहने लगे. वहां उन्होंने एक आटे की चक्की पर काम करना शुरू किया. बाद में उन्होंने यहीं पर शादी की और उनके बच्चे हुए. यहां पर घर बसाने के बाद भी वह अपने पैतृक देश जाना चाहते थे.
लंबे संघर्ष के बाद वांग और उनका परिवार पिछले साल चीन जाने में सफल रहा. उनकी स्वदेश वापसी चीनी मीडिया में बड़ी खबर बनी और अखबारों में फ्रंट पेज पर जगह पाने में सफल रही. चीनी सरकार ने उनके और उनके परिवार को 2 साल का वीजा दिया है.