हैदराबाद: हमारे इस देश में जहां अभी पीरियड्स को एक टैबू की तरह माना जाता है। वहीं अब इसको लेकर कहीं-कहीं खुलकर चर्चा होने लगी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वामपंथी दल सीपीएम की वरिष्ठ नेता बृंदा करात ने कामकाजी महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अवकाश देने की वकालत की है।
उन्होंने कहा कि किसी भी नियोक्ता को कानूनी तौर पर इसके लिए बाध्य किया जाना चाहिए कि वह महिला कर्मचारियों को मासिक धर्म के दौरान अवकाश दे। करात का कहना है कि इसके लिए कानूनी तौर पर प्रावधान होना चाहिए कि महिला को पीरियड्स के दौरान अवकाश की सुविधा मिले। हालांकि उसके पास विकल्प होना चाहिए कि वह इसके लिए छुट्टी लेना चाहती है या नहीं।
सीपीएम की पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने कहा पीरियड्स का पैटर्न अलग-अलग होता है ऐसे में महिलाओं पर ही इसकी छुट्टी का फैसला छोडऩा चाहिए। करात ने कहा कि सभी कर्मियों को मिलने वाली छुट्टी से अलग कंपनियों पर यह प्रावधान लागू होना चाहिए कि वे महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अवकाश दें।
बता दें कि केरल सरकार ने पिछले सप्ताह ही ऐलान किया था कि वह महिला कर्मचारियों को पीरियड्स लीव के लिए एक नियम लाएगी। राज्य सरकार का कहना है कि वह इस मामले के विभिन्न पक्षों पर विचार करने के बाद इस बारे में नियम लाएगी। केरल के चीफ मिनिस्टर पी. विजयन ने विधानसभा में कहा था पीरियड्स के दौरान महिलाएं विभिन्न शारीरिक मुश्किलों से गुजरती हैं। अब पीरियड्स लीव के मुद्दे पर चर्चा हो रही है। पीरियड्स को शारीरिक प्रक्रिया मानते हुए इस पर गंभीरता से विचार किए जाने की जरूरत है।
सभार-नव भारत टाइम्स