लखनऊ: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में हुई मासूमों की मौत के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। जांच केमटी में यह बात अपनी जांच में पायी है कि मेडिकल कालेज में आक्सीजन सप्लाई करने वाली पुष्पा कम्पनी ने आक्सीजन की सप्लाई बाधित की थी, पर रिपोर्ट में मासूमों की मौत का जिम्मेदारी आक्सीजन की कमी को नहीं माना गया है। साथ ही आक्सीजन सिलेण्डरों के रिकार्ड को भी सही से नहीं रखा गया है।


डीएम के आदेश पर बनायी गयी जांच कमेटी की पांच संसदीय टीम ने अपनी जांच मेें इस बात को पाया है कि बीआरडी कालेज में लापरवाही बरती गयी थी। जांच में यह भी पाया गया कि आक्सीजन सप्लाई करने वाली कम्पनी ने कई बार अपने भुगतान के बारे में कहा था। इसके चलते प्राचार्य को 5 अगस्त को भुगतान की रकम मुहैया करा दी गयी थी।
बावजूद इसके कम्पनी को समय से भुगतान नहीं किया गया। डाक्टर कफील ने वार्ड में लगे एसी खराब होने के बारे में डाक्टर सतीश कुमार को लिखित बताया गया था। बावजूद इसके वार्ड का एसी सही नहीं कराया गया। बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डाक्टर राजीव मिश्र 10 अगस्त को मुख्यालय से बाहर थे। वहीं 11 अगस्त को डाक्टर सतीश कुमार बिना अनुुमति मुम्बई चले गये।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इगर दोनों लोगों ने कालेज छोडऩे से पहले दिक्कतों का समय से समाधान कर दिया गया होता तो ऐसी परिस्थिति नहीं होती। मेडिकल कालेज में तैनात डाक्टरों के बीच आपस में समन्वय की कमी पायी गयी। इस तरह के कई आरोप इस जांच रिपोर्ट में है। अब यह तय हो चुका है कि इस रिपोर्ट के बाद बीआरडी मेडिकल कालेज के कुछ और अधिकारियों पर गाज गिरनी तय हो गयी है।
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