लखनऊ : गोरखपुर व उसके आसपास के जनपदों में बाढ़ तबाही मचा रही है। रोज पर रोज हालात बद से बदतर होते ज रहे हैं। गोरखपुर लगातार बढ़ रही राप्ती नदी उफान पर है। आज इसके कारण शहर के चिलुआताल थाना के मंझरिया गांव के पीछे डोहरिया-गाहासाड़ बंधा करीब 25 मीटर तक कट गया।
यहां पर बंधा कटने से क्षेत्र के लोग अपने घरों से जरूरी सामान लेकर पलायन कर रहे हैं। बंधा कटने से कोलिया, घुंघुनकोठा, मंझरिया, उतरसोत, जगतबेला, बेला, मुहम्मदपुर, जमुआड, खरबुजहवा गांव के सैकड़ों परिवार प्रभावित हैं। गोरखपुर शहर से सटे लहसडी बंधे में कई जगह रिसाव शुरू हो गया है। रिसाव रोकने के लिए अधिकारियों के अलावा स्थानीय लोग भी लगे हुए हैं। गोरखपुर में लगातार पांच दिन के उफान के बाद राप्ती नदी आज कुछ स्थिर हो गई।
नदी में बेकाबू जल प्रवाह से यहां जगह-जगह रिसाव की समस्या बनी हुयी है। आज जब नदी स्थिर हुई तो उसका जलस्तर 77.120 मीटर पहुंच चुका था। इससे पहले 1998 में 77.540 के उच्चतम स्तर पर पहुंचकर प्रलयंकारी बन गयी थी। राप्ती नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। लगातार बढ़ रहा है। गांव के लोग चिह्न लगाकर पल.पल की खबर रख रहे हैं। ग्रामीणों में भय है कि अब राप्ती इसी तरह बढ़ती रही तो कुछ ही समय में भारी तबाही मच जाएगी।
50 हजार से अधिक आबादी परेशान होगी। हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है। गोरखपुर शहर के महेवा गांव से लेकर खोराबार क्षेत्र स्थित तर्कुलानी तक 24 किमी तक राप्ती के किनारे मलौनी बंधा बना है। बंधे में सनहा, नौवा अब्बल और हथिया परास गांव के पास लगातार रिसाव होने से लोगों में भय बना हुआ है। सनना के पास बाढ़ खंड की टीम लगातार कैम्प कर रही है। एक जगह रिसाव बंद हो रहा है तो दूसरी जगह शुरू हो जा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि राप्ती नदी का पानी एक फीट और बढ़ा तो मलौनी बंधा कहीं भी कट जाएगा और भारी तबाही मजेगी। अगर मलौनी बांध पर संकट आया तो जंगल चवरी, राय गंज, बेलवार, तर्कुलही, अकोलाहिया, केवतालिया भी प्रभावित होगा। 1998 में झड़वा के पास मलौनी बंधे के कट जाने से महानगर के आधे मुहल्ले बाढ़ से प्रभावित हुए थे। खोराबार क्षेत्र में तबाही का मंजर कुछ और ही था जो याद करके लोग सिहर जाते हैं।