लखनऊ: देश की सर्वोच्य अदालत के ट्रिपल तालक पर दिये गये एतिहासिक फैसले ने पूरे विश्व में भारत की एक नयी छवि बनकर सामने आयी है। इसके पीछे वजह यह है कि भारत के अलावा भी दुनिया भर में कई ऐसे देश हैं जहां पर पहले से ट्रिपल तालक पर रोक है। खास बात यह है कि इन देशों में अधिकतर देश मुस्लिम हैं। यह पर रहने वाले और इस्लाम को मानने वाले लोग ट्रिपल तालाक शायद गलत ही मानते थे, तभी इन देशों में तीन तलाक पर रोक लगा दी गयी। आइये जानते हैं कि कौन-कौन से ऐश देश हैं, जहां ट्रिपल तालक पर पहले से रोक है।
इजिप्ट
इजिप्ट दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसने ट्रिपल तलाक को खत्म किया था। सन 1929 में इजिप्ट ने कई मुसलमान जजों की राय पर ट्रिपल तलाक को खत्म किया था। इजिप्ट ने एक इस्लामिक विद्वान इब्न तामियां की 13वीं सदी में कुरान की विवेचना के आधार पर ट्रिपल तलाक को मानने से इनकार कर दिया था।
सूडान
इसके बाद सन 1929 में सूडान ने भी इजिप्ट के रास्ते पर चलते हुए ट्रिपल तलाक को बैन कर दिया था।
पाकिस्तान
पाकिस्तान ने भारत से अलग होने के 9 साल बाद यानी सन 1956 में ही ट्रिपल तलाक को खत्म कर दिया था। यहां पर ट्रिपल तलाक के खत्म होने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। सन 1955 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा ने अपनी सेक्रेटरी से शादी कर ली थी और वह भी अपनी पत्नी को तलाक दिए बिना। इसके बाद पूरे देश में ऑल पाकिस्तान वीमेन एसोसिएशन की ओर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। यहां से पाकिस्तान में ट्रिपल तलाक के खत्म होने पर बहस शुरू हुई। साल 1956 में सात सदस्यों वाले एक कमीशन ने ट्रिपल तलाक को खत्म कर दिया। कमीशन की ओर से फैसला दिया गया कि पत्नी को तलाक कहने से पहले पति को मैट्रीमोनियल एंड फैमिली कोर्ट से तलाक का आदेश लेना होगा। साल 1961 में इसमें बदलावा हुआ और फिर यह तय हुआ कि पति तलाक के मामले पर बनाई गई एक सरकारी संस्था के चेयरमैन को नोटिस देगा। इसके 30 दिन बाद एक यूनियन काउंसिल पति और पत्नी को 90 दिनों का समय देगी कि दोनों रजामंदी कर लें। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर तलाक वैध माना जाएगा।
बांग्लादेश
साल 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश का जन्म हुआ। इसके बाद यहां पर शादी और तलाक के कानूनों में सुधार हुआ। बांग्लादेश ने ट्रिपल तलाक को खत्म कर दिया और यहां पर तलाक के लिए कोर्ट का फैसला मान्य माना गया। इसके अलावा यहां पर तलाक से पहले यूनियन काउंसिल के चेयरमैन को शादी खत्म करने से जुड़ा एक नोटिस देना होता है।
इराक
सन 1959 में इराक दुनिया का पहला अरब देश बना था जिसने शरिया कोर्ट के कानूनों को सरकारी कोर्ट के कानूनों के साथ बदल दिया। इसके साथ ही यहां पर ट्रिपल तलाक खत्म कर दिया गया। इराक के पर्सनल स्टेटस लॉ के मुताबिक तीन बार तलाक बोलने को सिर्फ एक ही तलाक माना जाएगा। 1959 के इराक लॉ ऑफ पर्सनल स्टेटस के तहत पति और पत्नी दोनों को ही अलग.अलग रहने का अधिकार दिया गया है।
श्रीलंका
श्रीलंका में ट्रिपल तलाक का जो कानून है उसे कई विद्वानों ने एक आदर्श कानून करार दिया है। यहां पर मैरिज एंड डिवोर्स मुस्लिम एक्ट 1951 के तहत पत्नी से तलाक चाहने वाले पति को एक मुस्लिम जज को नोटिस देना होगा जिसमें उसकी पत्नी के रिश्तेदार उसके घर के बड़े लोग और इलाके के प्रभावशाली मुसलमान भी शामिल होंगे। ये सभी लोग दोनों के बीच सुलह की कोशिश करेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर 30 दिन बाद तलाक को मान्य करार दिया जाएगा। तलाक एक मुसलमान जज और दो गवाहों के सामने होता है।
सीरिया
सीरिया में मुसलमान आबादी करीब 74 प्रतिशत है और यहां पर सन 1953 में तलाक का कानून बना था। सीरिया के पर्सनल स्टेटस लॉ के आर्टिकल 92 के तहत तलाक को तीन या चाहे कितनी भी संख्या में बोला जा लेकिन इसे एक ही तलाक माना जाएगा। यहां पर भी तलाक जज के सामने ही वैध माना जाता है।
ट्यूनीशिया
ट्यूनीशिया में कोई भी तलाक तब तक वैध नहीं माना जाता है जब तक कि अदालत की ओर से शादीशुदा जिंदगी में जारी तनाव को लेकर एक गहन इन्क्वॉयरी पूरी नहीं कर ली जाती। सन् 1956 में ट्यूनीशिया में यह कानून बना था।
मलेशिया और इंडोनेशिया
मलेशिया में डिवोर्स रिफॉर्म एक्ट 1969 के तहत कई बदलाव किए गए। यहां पर अगर किसी पति को तलाक लेना है तो फिर उसे अदालत में अपील दायर करनी होगी। इसके बाद अदालत पति को सलाह देती है कि वह तलाक की बजाय संबंध सुधारने की कोशिश करे। अगर मतभेद नहीं सुलझते हैं तो फिर पति अदालत के सामने तलाक दे सकता है। मलेशिया में अदालत के बाहर दिए गए तलाक की कोई मान्यता नहीं है। इंडोनेशिया में भी तलाक बिना कोर्ट के वैध नहीं है। इंडोनेशिया में तलाक यहां के आर्टिकल 19 के तहत कुछ वैध वजहों के आधार पर मिल सकता है।
इसके अलावा साइप्रस, जॉर्डन, अल्जीरिया, इरान, ब्ररूनेई, मोरक्को, कतर और यूएई में भी ट्रिपल तलाक को बैन किया गया है।