शहीद दारोगा के परिवार को पुलिस वालों ने दिया अपना एक दिन का वेतन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में मानिकपुर थाना क्षेत्र के जंगलों में कुख्यात डकैत बबुली कोल गिरोह से मुठभेड़ के दौरान मारे गये जौनपुर के दारोगा जेपी सिंह का शव शुक्रवार को उनके गांव पहुंचा। शव के गांव पहुंचते ही वहां लोगों की भारी भीड़ उनको ऋद्घांजली देने के लिए जुट गयी। सरकार ने शहीद दारोगा के नाम से एक सड़क व एक द्वार बनाने का ऐलान किया है। वहीं लखनऊ व जौनपुर पुलिस के लोगा अपना एक-एक दिन का वेतन भी शहीद के परिवार वालों को देने की घोषणा की है।


चित्रकूट के मानिकपुर जंगल में गुरुवार की सुबह डकैत बबुली कोल गैंग से पुलिस की मुठभेड़ हुई। पुलिस ने मुठभेड़ में अपने एक जांबाज दरोगा जेपी सिंह को खो दिया जबकि एक थानेदार गोली लगने से घायल हुए। पुलिस की गोली से गिरोह का सरगना बबुली और उसका दाहिना हाथ 60 हजार का इनामी लवलेश कोल समेत चार डकैत भी घायल हुए।

पुलिस ने चार डकैतों को कल गिरफ्तार कर लिया था। गुरुवार शाम छह बजे के बाद तक दोनों तरफ से गोलीबारी होती रही। पुलिस ने नाइट विजन दूरबीन के सहारे निगरानी शुरू की जंगल में तेज लाइटें लगवायी गयीं ताकि डकैत पुलिस की घेराबंदी तोड़ कर भागने की कोशिश करें तो दिखायी पड़ जाएं। हालांकि रात में डकैतों की तरफ से कोई कोशिश नहीं हुई पुलिस को जंगल से कहीं कोई हलचल दिखायी नहीं दी है।

रात भी हमीरपुर, महोबा और बांदा के पुलिस अफसर जवानों के साथ जंगल में डटे रहे। पुलिस को कई जगह खून के निशान मिले हैं इससे माना जा रहा है कि गुरुवार की गोलीबारी में कई डकैत घायल हुए हैं। पुलिस का मानना है कि चूंकि बबुली और लवलेश खुद घायल हैं इसलिए डकैत गिरोह बहुत दूर भागने की स्थिति में नहीं है।

जंगल में मोर्चा ले रहे अफसरों ने बताया कि डकैत गिरोह नीही नाले के दूसरी तरफ है जिसके बाद ऊंचा पहाड़ है। घायल डकैत पहाड़ चढाने की स्थिति में नहीं है जब तक कि गांव वालों का स्पोर्ट न मिले। पुलिस का शिकंजा चारो तरफ से कसता जा रहा है बचाव के लिए डकैत किसी भी समय गोलियां चला सकते हैं। पुलिस भी जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।

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