नई दिल्ली। भारत में 15 व इससे अधिक आयु की करीब सात करोड़ ऐसी महिलाएं हैं जो तंबाकू का सेवन करती हैं। तंबाकू खाने के पीछे एक बड़ी वजह है।
एक नई रिपोर्ट के अनुसार असल में वे दिहाड़ी, मजदूरी करते समय लगी भूख को दबाने के लिए ऐसा करती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, “वर्तमान में 7 करोड़ महिलाएं तंबाकू का सेवन करती हैं।
चूंकि वे श्रमिक हैं एवं कठिन परिश्रम करती हैं इसलिए उस समय लगी तेज भूख को तत्काल दबाने के लिए वे तंबाकू का सहारा लेती हैं।”
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के समन्वय में स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय लोक स्वास्थ्य संस्थान, रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्र एवं राष्ट्रीय कैंसर संस्थान ने देश में पहली ऐसी संपूर्ण रिपोर्ट जारी की है जिसमें कि तंबाकू के सेवन से प्रभावों का उल्लेख किया गया है।
भोजन नली व मुंह में छेद होने वाला कैंसर भारत में एक अहम स्वास्थ्यगत चिंता बन चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक पुरुषों के बीच 85 हजार एवं महिलाओं के बीच 34 हजार ऐसे नए केस हर साल आते हैं जिनमें 90 फीसदी मामले तंबाकू के सेवन वाले होते हैं।
भारत में वर्ष 2009-10 में हुए 15 व इससे अधिक आयु वर्ग के लिए वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण का हवाला देते हुए रिपोर्ट ने कहा कि धूम्ररहित तंबाकू तंबाकू के आम प्रकारों में से है।
33 प्रतिशत पुरुषों व 18 प्रतिशत महिलाओं में इसका प्रतिशत 26 था। यह रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन के सम्मेलन के सातवें सत्र में प्रस्तुत की गई थी, जिसकी मेजबानी भारत ने पहली बार की।
रिपोर्ट ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान धूम्ररहित तंबाकू का सेवन करने से एनीमिया का खतरा 70 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, इससे जन्म के समय शिशु का वजन कम भी रहता है एवं मृत शिशु के जन्म की दर भी दो से तीन गुना अधिक रहती है।
महिलाओं में मुंह के कैंसर का खतरा पुरुषों की तुलना में 8 गुना अधिक होता है एवं हृदय रोग की संभावनाएं भी पुरुषों के मुकाबले दो से चार गुना अधिक होती हैं।
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धूम्ररहित तंबाकू का उद्योग भारत में तेजी से बढ़ रहा है, जो कि असंगठित क्षेत्रों में ज्यादा है। रिपोर्ट का दावा है कि देश में तंबाकू की खेती के लिए प्रयुक्त ज़मीन पर 14 प्रतिशत खेती धूम्ररहित तंबाकू की होती है एवं कुल तंबाकू उत्पाद का पांचवा हिस्सा धूम्ररहित तंबाकू में उपयोग होता है।