जेडीयू के नाराज नेता शरद यादव ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि वह राज्यसभा से इस्तीफा नहीं देंगे. यह जवाब उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि क्या उन पर जेडीयू के ओर से उनपर राज्यसभा से इस्तीफे का दबाव है. शरद यादव ने कहा कि राज्यसभा में मैं चार बार रहा हूं. इसमें से तीन बार इस्तीफा दे चुका हूं. मैं 2 बार लोकसभा से इस्तीफा दे चुका हूं. हम इस्तीफा करने वाले आदमी हैं. लेकिन आज जो आप पूछ रहे हैं उसका जवाब ये है. हमने आज जो कदम उठाया है वो देश की विकट परिस्थिति की वजह से उठाया है. इसमें मेरा कोई स्वार्थ नहीं है.
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शरद यादव ने इसके अलावा एनडीए और बीजेपी के एजेंडा पर कहा कि आज के एनडीए और अटल आडवाणी के एनडीए में जमीन आसमान का फर्क है. अटल आडवाणई के एनडीए में 30-40 प्रतिशत पार्टियां बाहर की थीं. आज जो एनडीए है इसमें चौअन्नी और दुअन्नी वाली पार्टियां हैं. अटल आडवाणी के एनडीए में नेशनल एजेंडा था, इसमें सिर्फ बीजेपी का एजेंडा है.
इसके अलावा शरद यादव ने नोटबंदी को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि नोटबंदी की वजह से 3 करोड़ लोगों का रोजगार चला गया. अर्थव्यवस्था 2 प्रतिशत तक घट गई.
जनता दल यूनाइटेड अपने संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को निलम्बित किए बिना सीधे उनकी सदस्यता रद्द कराने के लिए राज्यसभा अध्यक्ष को पत्र लिखेग लिखेगी. पार्टी का मानना हैं कि राजद की रैली में भाग लेके शरद यादव ने ख़ुद से पार्टी की सदस्यता का त्याग कर दिया है. पार्टी के महासचिव के सी त्यागी का कहना हैं कि पार्टी की ओर से बार-बार मना करने के बावजूद शरद यादव ने राजद की रैली में भाग लिया उससे ये बात साबित हो गई है कि उन्होंने पार्टी की सदस्यता का त्याग कर दिया है.
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त्यागी का दावा है कि उनके के भाषण और हाल के दिनों में राजनीतिक गतिविधि से साफ है की वो पार्टी विरोधी कामों में लगे हैं. इसलिए पार्टी को उम्मीद हैं कि संविधान की १० वी अनुसूची जिसमें सदन के बाहर की गतिविधि पर भी सदस्यता रद्द होने का प्रावधान है, इसी के तहत अगले कुछ दिनो में पार्टी राज्यसभा के सभापति के पास याचिका दायर करेगी. पूर्व में भाजपा के राज्यसभा सांसद जय नारायण निषाद और जनता दल यूनाइटेड के उपेन्द्र कुशवाह की सदस्यता भी इसी आधार पर जा चुकी है.