गोरखपुर: यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि भारत को हिंदू परंपरा को स्वीकार करना ही होगा। सीएम ने यह बात अपनी कर्मस्थली गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह के दौरान कही।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धर्म को केंद्र में रखकर सामाजिक सौहार्द, शिक्षा, स्वास्थ्य और समानता के जो भी कार्यक्रम होते रहे हैं गोरक्षपीठ उनमें अग्रणी रही है। यदि भारत को भारत रहना है तो हिंदू परंपरा को स्वीकार करना ही होगा। यह परंपरा पलायन को चुनौती देने वाली है।
मुख्यमंत्री गोरखनाथ मंदिर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ब्रह्ललीन महंत दिग्विजयनाथ इस चुनौती को लेकर चले और राष्ट्रीय चेतना से जुड़ कर उसे नई गति देने का कार्य किया। उन्होंने कहा कि जिसने भी भारत की मूल चेतना के खिलाफ आवाज उठाई है गोरक्ष पीठ उसके खिलाफ जमकर खड़ी हुई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीठ को स्वाधीनता आंदोलन से जोड़ते हुए कहा कि बंकिम चंद्र ने सन्यासी विद्रोह के आधार पर ही वंदे मातरम की रचना की थी और भारत के सन्यास परंपरा को राष्ट्र धर्म से जोड़ा था। गोरक्ष पीठ इसी परंपरा को आगे बढ़ा रही है। गोरखनाथ मंदिर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विधान सभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित ने कहा कि हमारे देश में हमेशा द्वंद्व का प्रभाव रहा है।
कभी राजनीति और धर्म का द्वंद्व तो कभी योग और भक्ति का। इस द्वंद्व को दूर करने का काम नाथ पीठ के संतों ने किया। खासकर दिग्विजयनाथ द्वन्द्व की हिचकिचाहट को दूर करने के लिए मुखर रूप से सामने आए। महंत अवेद्यनाथ और योगी आदित्यनाथ इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
दीक्षित ने कहा कि दिग्विजयनाथ ने ज्ञान को कर्म बनाया साथ ही कर्म को ज्ञान बनाने का कार्य भी किया। स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि जन और धन का समर्थन सन्यासियों को भी पथ से भटक सकता है। राम रहीम और रामपाल बना देता है। गोरक्षपीठ इससे बहुत ऊपर हैं।
जन और धन के समर्थन से इस पीठ ने प्रेरणा ली हैए जन सेवा की। स्वामी चिनमयानंद शनिार को गोरखनाथ मंदिर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह को संबोधित कर रहे थे।