लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंस के दीक्षांत समारोह में डॉक्टर्स को डिग्री तथा बधाई देने के साथ ही कड़वी नसीहत भी दे डाली। राज्यपाल राम नाईक की मौजूदगी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉक्टर्स से कहा कि पूर्वांचल में बीते बीस वर्ष से एक गंभीर बीमारी पर ईमानदारी से काम नहीं किया गया।

एसजीपीजीआई के 22वें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि यहां के डॉक्टर्स पूर्वी उत्तर प्रदेश में महामारी के रूप में व्याप्त इंफ्लाइटिस को लेकर शोध करें। पूर्वांचल में इंसेफ्लाइटिस 1977 से है। मगर बीते 20 वर्ष से इसकी ओर किसी ने ध्यान नही दिया। अगर किसी चिकित्सक ने ईमानदारी से काम किया होता तो यह महामारी अब तक खत्म हो चुकी होती।
प्रदेश में इतना बड़ा संस्थान होने के बाद भी पूर्वांचल में इंफ्लाइटिस के मरीजों को देखकर अफसोस होता है। कैसे हम इसको महामारी बनने से रोकें इस पर शोध करना चाहिए। उन्होंने कहा एसजीपीआइ के डॉक्टर्स को इसको बड़ा शोध संस्थान बनाना होगा। यह अच्छा है कि यहां पर लीवर व किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा से है लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है कि इनके ट्रांसप्लांट की नौबत ही ना आए।
उत्तर प्रदेश के चार अलग-अलग क्षेत्र हैं। सभी की अलग-अलग परिस्थिति और बीमारियां हैं। प्रदेश सरकार किसी काम में पैसे को बाधा नहीं बनने देगी। उत्तर प्रदेश के लोगों को मुम्बई, चेन्नई ना जाने पड़े इसके लिए काम करने की आवश्यकता है। यहां पर सिफारिशों को देखते हुए किसी को भी उद्देश्यों से भटकना नही चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि डॉक्टर उपचार करने तक अपने को सीमित ना रखें। डॉक्टर पैसा कमाना चाहते हैं लेकिन अगर सेवा भाव से काम करें तो सम्मान और पैसा दोनों मिलेगा। डॉक्टर्स यहां से डिग्री लेकर विदेश ना जाए। सरकार डॉक्टर्स की शिक्षा पर बहुत रुपया खर्च करती है डिग्री लेकर विदेश ना जाएं। उन्होंने कहा कि संजय गांधी पीजीआइ की पहचान उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ के रूप में होती है।
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