लखनऊ: आज चांद दिखाई देने के बाद मुहर्रम की पहली तारीख कल होगी । 29 का चांद होने पर शुक्रवार को मुहर्रम की पहली तारीख है। इस हिसाब से पहली अक्टूबर को दस मोहर्रम हो गयी। मोहर्रम का महीना शिया मुसलमों के लिए गम का माह होता है।

इस दौरान वह लोग पैगम्बर मोहम्मद के नवासे और अपने तीसरे इमाम हुसैन इब्ने अली की शहादत के रूप में मनाते हैं।
चांद दिखने के साथ ही लखनऊ सहित पूरे विश्व में मोहर्रम की मजलिसों व जुलूसों का सिलसिला शुरू हो जाता है। मोहर्रम के दस दिनों तक जगह-जगह पर इमाम हुसैन व उनके घरवालों की दी गयी कुर्बानियों को याद किया जाता है।
मोहर्रम न सिर्फ भारत बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी ही अकीदत के साथ मनाया जाता है। इस दौरान शिया समुदाय के लोग अपनी इमाम व उनके घरवालों पर हुए जुल्म को याद कर आंसू बहाते हैं और उनके बताये हुए सही रास्ते पर चलने के लिए कोशिश करते हैं।
आपको बताते चले कि आज से 1400 साल पहले इराक की कर्बला की जमीन पर पैगम्बर मोहम्मद साहब के सबसे छोटे नवासे इमाम हुसैन व उनके घर के 72 लोगों को तीन दिन भूखा और प्यासा रखने के लिए शहीद कर दिया गया था।
उस वक्त का बादशाह यजीद चाहता था कि इमाम हुसैन उनकी गलत बातों को मान ले, पर इमाम हुसैन इस बात के लिए राजी नहीं हुए और अंत में यजीदे फौजों ने इमाम हुसैन को कर्बला में घेर कर मौत के घाट उतार दिया। उसके बाद से हर साल मोहर्रम के महीने में इमाम हुसैन व उसके घरवालों की इस अजीम शहादत को याद किया जाता है।
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