लखनऊ: 17 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन ना केवल अपार धन-संपदा पाई जा सकती है बल्कि आप सेहत और सौभाग्य का वरदान भी पा सकते हैं। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी पर जब ग्रहों और नक्षत्रों का अद्धुत संयोग बनता है तब होती है धनतेरस की पूजा इससे प्रसन्न होते हैं कुबेर और धन.संपत्ति और वैभव का वरदान देते हैं।
ये वो पूजा है जिससे देवताओं के वैद्य धनवंतरि आरोग्य का सुख प्रदान करते हैं और अकाल मृत्यु के भय का नाश करते हैं। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक धनतेरस कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन यानी दिवाली दो दिन पहले मनाया जाता है।
इस दिन सबसे पहले तेल लगाकर नहाएं और फिर लाल या गुलाबी कपड़े पहनें। पूजन में सबसे पहले गणेश-लक्ष्मी जी और कुबेर की पूजा करें। गणेश जी सारी बाधाएं दूर करेंगे लक्ष्मी जी धन लाभ देंगी और कुबेर पैसे की बचत कराएंगे। इस तरह घर में बरकत आएगी। कुबेर को कमल का फूल गुलाब की माला नारियल, बर्फी ,केले और मखाने का भोग लगाएं। गुग्गल की धूप जलाएं और घी का दीपक जलाएं फिर इस मंत्र का जाप करें ॐ गणपति देवाय नमः, ॐ श्रिये नमः, ॐ कुबेराय नमः
मान्यता है कि धनवंतरि देव समुद्र मंथन से निकले थे। वह आरोग्य, आयु, धन और सुख देते हैं। धनवंतरि देव विघ्न विनाशक भी हैं। इन्हें गेंदे के फूल की माला चढ़ाएं, चंदन लगाएं ,दूध, दही, शक्कर, शहद और घी मिलाकर पंचामृत बनाएं। पंचामृत को धनवंतरि देव को चढ़ाएं। सेब और बर्फी पैसे चढ़ाएं और घी के दीपक से आरती करें इसके बाद ॐ धन्वन्तरये नमः मंत्र का जाप करें।
धनतेरस वाले दिन खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त शाम 7.19 बजे से 8.17 बजे तक का है। इस साल धनतेरस मंगलवार को पड़ा है। इसलिए धातु में सोना और तांबे की चीज की खरीदारी फायदेमंद रहेगी।
मकान और जमीन खरीदने के लिए भी ये दिन शुभ माना जाता है। धनतेरस पर दीपदान का भी विशेष महत्व होता है। शाम को दीपदान जरूर करें। घर के मुख्य द्वार पर तिल के तेल का चारमुखी दीपक जलाएं। थाली में यमराज के लिए सफेद बर्फी, तिल की रेवड़ी या तिल मुरमुरे के लडडू, एक केला और एक गिलास पानी रखें।