800 साल पुराना रामप्पा मंदिर जिसकी मूर्तियों में छिपा है रोचक रहस्य, जानें यहां

भारत अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. हम कह सकते हैं की भारत भले ही विकासशील देश के लिए अग्रसर हो लेकिन संस्कृति और सभ्यता में ये सबसे धनी देश माना जाता है. भारत में कईयों साल पुरानी सभ्यता आज भी अस्तित्व में है. ऐसे ही 800 साल पुराना रामप्पा मंदिर का वजूद आज भी जिंदा है.

तेलंगाना राज्य में वारंगल शहर के पास पालमपेट गाँव में रामप्पा मंदिर स्थित है. रामप्पा मंदिर का एक और नाम रामलिंगेश्वर मंदिर भी प्रसिद्ध है. यह शायद दुनिया का अकेला ऐसा मंदिर होगा जिसका नाम उसमें स्थित भगवान के नाम पर न होकर मंदिर बनाने वाले शिल्पकार ‘रामप्पा’ के नाम पर रखा गया.

रोचक रहस्य-

-आपको बता दें 800 साल से अधिक पुराने इस रामप्पा मंदिर में कई अनोखे रोचक रहस्य छुपे हैं. जैसे कि ये मंदिर कई भूकंप आने के बावजूद आज भी वैसा ही कैसे खड़ा है जबकि उस काल के कितने ही मंदिर खंडहर हो चुके हैं.

– मंदिर में बनी स्त्री मूर्तियाँ आपको आश्चर्यचकित कर देंगी. काले ग्रेनाइट जैसे कठोर पत्थर से बने होने के बावजूद मूर्तियों में ऐसी गजब चमक, महीन काम और कलात्मकता अद्भुत है. आप प्रभावित हुए बिना नहीं रहेंगे.

– मंदिर के प्रवेशद्वार पर एक बाँसुरी की कलाकृति बनी है जिसे हल्का सा ठोंकने पर सा-रे-गा-मा की आवाज निकलती है.

रामप्पा मंदिर, वारंगल की मूर्ति का रहस्य-

क्या आपको लगता है कि प्राचीन काल में ज्ञान के अलावा फैशन जैसे कलात्मक विषय पर भी कुछ खोज हुई होगी? जी हाँ ! इस बात का प्रमाण है कि प्राचीन भारतीय फैशन के क्षेत्र में भी बड़े क्रांतिकारी थे. रामप्पा मंदिर में औरतों के कई स्कल्पचर बने हुए हैं. इन स्त्री मूर्तियों को मदनिका कहा गया है. इन स्त्री की मूर्तियों ने हाई हील्स यानि ऊँचे एड़ी के फूटवियर पहने हैं.

मदनिका के हाई हील्स की डिजाईन में हील्स के साथ ही पंजे के अगले हिस्से भी ऊँचे बनाये गये हैं जैसा कि आजकल प्लेटफार्म हील्स वाले सैन्डल में होते हैं. इसका मतलब शायद उस समय के लोग सिर्फ हाई हील्स पहनने के नुकसान भी जानते रहे हों. इस मूर्ति के आधार पर ये कहा जा सकता है कि सैकड़ों साल पहले भी आज की तरह हाई हील वाले चप्पल, सैंडल जरूर भारतीय फैशन में रहे होंगे.

मंदिर की अनोखी मजबूती का रहस्य-

काकतीय वंश के राजा गणपतिदेव के एक सेनापति रेचर्ल रुद्र ने सन 1213 में यह शिव मंदिर बनवाया था. वो चाहते थे कि ऐसा दिव्य मंदिर बने जोकि कई सदियों तक मजबूत खड़ा रहे और वास्तु शिल्प में भी अनोखा हो. शिल्पी रामप्पा ने अपने अद्भुत कौशल और मेहनत से ऐसा सुंदर मंदिर बनाया कि रेचर्ल रुद्र ने प्रसन्न होकर उसी के नाम पर मंदिर का नाम रख दिया. ये मंदिर लाल बलुई पत्थर से बना है और मूर्तियाँ काले ग्रेनाइट स्टोन से बनी है.

ये मंदिर खास जिस पत्थर से बना है वो देखने में सामान्य लगता है लेकिन बहुत अनोखा है. ये पत्थर कठोर तो हैं लेकिन वजन में काफी हल्के है. यहाँ तक कि पानी में डालने पर पत्थर डूबते नहीं बल्कि तैरते रहते हैं. मंदिर की छत इसी पत्थर से बनी हुई है जिसकी वजह से कई हलचल होने के बावजूद सदियों से यह मंदिर स्थिर खड़ा है. रामप्पा मंदिर जमीन से 6 फुट ऊंचे बने प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है.

17वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में एक बड़ा भूकंप आया था जिसकी वजह से मंदिर की जमीन कहीं-कहीं पर कुछ ऊंची-नीची हो गई है लेकिन बाकी मंदिर और मंदिर के सामने बनी नंदी की विशाल मूर्ति पर कोई असर नहीं हुआ. तो ये था रामप्पा मंदिर का इतिहास और इसमें छुपा मंदिर का रहस्य.

By- कविता सक्सेना श्रीवास्तव

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