लखनऊ: केन्द्र सरकार की किसानों की आय बढ़ाने की योजना पर काम करते हुए प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पांच वर्ष में किसानों की आय दोगुनी करने की आठ सूत्री रणनीति और पंचवर्षीय एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। इसमें बुंदेलखंड जैसे अति पिछड़े क्षेत्रों के लिए खास उपाय शामिल किए गए हैं।
इस रणनीति में खेती की वर्तमान लागत को पांच वर्ष में 10 फीसदी घटाने और फसलों की औसत उत्पादकता 20 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। अकेले खाद्यान्न उत्पादन में वर्ष 2022 तक 1 करोड़ 86 लाख 38 हजार मीट्रिक टन वृद्धि की योजना है।
सरकार ने इस कठिन लक्ष्य को हासिल करने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर ही खेतों में रासायनिक खादों का प्रयोग कराने का फैसला किया है। लक्ष्य है कि प्रदेश में मृदा कार्ड का उपयोग कर रहे 13 लाख किसानों की संख्या 2022 तक करीब सवा करोड़ पहुंचा दी जाए।
सरकार ने दुग्ध उत्पादन की मौजूदा वृद्धि दर को 4.42 प्रतिशत से बढ़ाकर 9.10 प्रतिशत करनेए अंडा उत्पादन 220 करोड़ प्रतिदिन से बढ़ाकर 244.95 करोड़ करने और मांस उत्पादन की मौजूदा 9 प्रतिशत की वृद्धि दर बरकार रखने का लक्ष्य तय किया है। इसी तरह फल उत्पादन मौजूदा 131.76 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 221.74 लाख हेक्टेयर और उत्पादकता 24.40 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर को बढ़ाकर 29.10 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर करने की योजना है। सरकार ने सब्जी का मौजूदा उत्पादन 295.88 लाख हेक्टेयर से 2022 तक बढ़ाकर 421.60 हेक्टेयर और उत्पादकता 22.76 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 27.20 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर करने की कार्ययोजना को मंजूरी दी है।
कृषि विकास दर बढ़ाने के लिए प्रदेश के जिलों को उत्पादकता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। तराई, पश्चिमी मैदानी क्षेत्र, मध्य पश्चिमी मैदानी, दक्षिणी पश्चिमी अर्धशुष्क मैदानी, मध्य मैदानी, बुंदेलखंड, उत्तर-पूर्वी मैदानी, पूर्वी मैदानी व विंध्य क्षेत्र में बंटे प्रदेश को विकसित, विकासशील व कम विकसित श्रेणी में चिह्नित किया गया है।
19 जिले विकसित, 40 विकासशील व 16 कम विकसित श्रेणी में चिह्नित किए गए हैं। इन जिलों की पृष्ठभूमि के आधार पर आय दोगुनी करने की रणनीति तैयार हुई है।
इस तरह आय दोगुनी करने का है प्लान
खेती के साथ उद्यान, पशुपालन, मत्स्य पालन।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर संतुलित खादों का प्रयोग।
कम बारिश वाले क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा का विस्तार।
पोस्ट हार्वेस्ट नुकसान कम करके उत्पादन बढ़ाना।
फूड प्रोसेसिंग के लिए निजी उद्यमियों के सहयोग से अवस्थापना सुविधाओं का विकास।
किसानों को उपज का उचित मूल्य मिले इसके लिए विपणन की व्यवस्था सुलभ कराना।
अधिक से अधिक किसानों को फसल बीमा के दायरे में लाना और बीमा का लाभ दिलाना।
कृषि विविधीकरण से प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन कर आय बढ़ाना।
बुंदेलखंड में हैदराबाद मॉडल पर खेती।