87 साल पहले आज (7 मई) ही 1930 में दलीपसिंहजी ने महज साढ़े पांच घंटे में तिहरा शतक जमाया था. काउंटी क्रिकेट में ससेक्स की ओर से खेलते हुए उन्होंने 333 रनों की जबरदस्त पारी खेली, जो उस वक्त प्रथम श्रेणी क्रिकेट का सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर था.
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अपने चाचा रंजीतसिंहजी का रिकॉर्ड तोड़ा
मजे की बात है कि जिस टीम (नॉर्थेंप्टनशायर) के खिलाफ उन्होंने यह करिश्माई पारी खेली, वह दो पारियों में भी इतने रन नहीं बना पाई थी. सबसे बढ़कर दलीपसिंहजी ने अपने ही चाचा ‘मशहूर’ रंजीतसिंहजी के रिकॉर्ड को तोड़ डाला. इससे पहले तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सर्वाधिक रन (नाबाद 285 रन) बनाने का रिकॉर्ड रंजीतसिंहजी के नाम था, जो उन्होंने 1901 में बनाया था.
बाद में लारा ने एक दिन में सर्वाधिक रन बनाए
दलीपसिंहजी के बाद केवल तीन ही बल्लेबाज हुए जो एक दिन में उनसे ज्यादा रन बनाए. इस कड़ी में आखिरी नाम ब्रायन लारा का है, जिन्होंने 1994 में वॉरविकशायर की ओर से खेलते हुए एक ही दिन में 390 रन बनाए थे . और उसी पारी के दौरान लारा ने प्रथम श्रेणी के रिकॉर्ड नाबाद 501 रन बना डाले थे.
भारत में चाचा-भतीजे के नाम पर दो टूर्नामेंट
काठियावाड़ में पैदा हुए कुमार श्री दलीपसिंहजी ने इंग्लैंड की ओर से 12 टेस्ट (1929-31) मैच खेले थे. जबकि इससे पहले रंजीतसिंहजी ने इंग्लैंड की ओर से 15 टेस्ट (1886-1902) मैच खेले थे. दलीपसिंहजी का तत्कालीन मुंबई में 1959 में 54 वर्ष की आयु में निधन हो गया. जबकि रंजीतसिंहजी ने 1933 में 60 वर्ष की उम्र में जामनगर पैलेस में अंतिम सांस ली थी. भारत में इन दोंनों दिग्गजों के नाम पर दो प्रतिष्ठित टूर्नामेंट रणजी और दलीप ट्रॉफी के मुकाबले खेल जाते हैं.
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